________________
७६६ ]
तिलोयपणती
[ गापा : २८६१-२८६४ प:- पुष्कराशीपमें क्षेत्रका धनुष अत्तीस लाख अमह हमार वीनसो, पैतीस ( ३६५३३५ ) योजन प्रमाण है ।।२८६०॥
चोड्स-जोयग-सबखा, छासीवि-सहस्स-भव-सया इगितीसा । उत्तर - देव - कुहए, परोक्कं हो। रिनु - बाणो ||२६६१।।
१४६६६३१ । अर्थ :-उत्तर और देवकुरुमेंसे प्रत्येकका हजुगाण चौदह लाख छयासी हजार नौ सो इकतीस ( १४८१९३१ ) योजन प्रमाण है ।।२८६१॥
घउ-ओषण-सम्माणि, बत्तीस-सहस्स णव • सयाई पि । सोलस • जुबारिण 'पुरके, जीवाए होरि परिमाण ॥२८६२।।
४३६६१६ । म :-कुरुक्षेत्रकी जीवाका प्रमाण पार लाख प्रतीस हजार नौसौ सोलह (१९१६) योजन प्रमाण है ॥२६।।
वृन-विष्कम्भ निकालनेका विषागइंसुनवागं वजनगुरिगवं, सीधा-सागम्मिलिया सम्हि तबो ।
पउ - गण - भाग - विहरो, ल पट्टस्स विखंभो ।।२८६।।
पर्ष:-बाणके बर्गको चौगुनाकर ससे जीवाके वर्ग में मिला दे। फिर उसमें चौगुने बाणका भाग देनेपर जो सब्द आवे उतना गोलक्षेत्रका विस्तार होता है ।२८६३।।
(१४६६१६x४ + ४३६८१६) + (१४८६६३१४४) १५१६०२६ योजन __ और कुछ अधिक कप्ता।
कुरुक्षेत्रका वृत्तविकाभ तथा वक्रवाणका प्रमाणपगारस - लालागि, उगवीस सहस्सयाणि पीसा । इगिवीस - ब - सर्वसा, पोक्सर - कुर-मंगल' सेतं ॥२०६४।।
१५११०२६।१३
१.व. का। २.६, पम्बोस। ३.द.. मम ।