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५२ ]
तिलोयपरगती
[ गापा : ११
३६१
१००००० - ४ ( १००००० ) ( १८५२२४ ) २४६) = ५००००-V ( २५०००००००० – २५७६९८२५४) = ५००००-१५ या ४६७६११२३० योजन दक्षिण-भरतका माण ।
विजयाको दक्षिण भीवाका प्रमाणसोपण-
I अदालसंधुत्ता। बारस कसाओ अहिसा, रगराषस - अक्सि' जीवा ।।१८६॥
६५४८३३ । प:-विजयाके दक्षिण में जीवा नौ हजार मातसो अड़तालीस शेजन मोर एक योजन उन्नीस भागोंमेंसे बारह भाग ( E७४: यो०) प्रमाण है ॥१६॥
विरोधा:-जम्बूद्वीपका व्याम एक लाख योजन और भरतक्षेत्रका गाण २३८ या # योजन प्रमाण है। गाथा १८३ के नियमानुसार- ( १००००० - १३२५ २८६३६२२६७५६२५ को विस्तारके मधंभागके वर्ग [ ( १०००० )२- २५०००००००० ] मेंमे ३६१
२१००००००० ६६३२२१७५६२५ घटा देनेपर ( २५०,०°00
-८४७७२२४५७८ अवशेष रहे । इस
८५७४०२४३७५.४४.३४३०८०६५५०० योजन हए । अवशिष्ट राशिको ४ से गुरिणत करने पर ८५ इसका वर्गमून निकालने पर १८५२२४ अर्थात् १७४८ १३. योजन दक्षिण विजयार्थको जीवा का प्रमाण प्राप्त हुका 1 इसमें १६७३२४ अवशेष रहे जो छोड़ दिये गये है।
१... सहस्र.
ज. प. उ. सहस्स। २.२, म. दक्विणो दोमो, ब. . १. पविणों
बीमो।