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________________ ७५० ] तिलोसपण्णात्ती [ पा ; २७१२-२७१४ :-इस पुष्करतोपके कपनमें १ मानुषोत्तरपदंत, २ विम्पास, । भरतक्षेत्र, उसमें ४ कासविभाग, ५ हिमवान-पर्यत, ६ हेमवत क्षेत्र, ७ महाहिमवान्पयंत, हरिव, निषतपर्वत, १. विदेह. ११ नीलगिरि, १२ रम्यकवर्ष, १३ कश्मिपर्वत १४ हरण्यवतक्षेत्र, १५ शिखरीपर्वत मोर १६ ऐरावतक्षेप इसप्रकार ये सोलह मन्तराधिकार है। अब अमुक्रमसे यही उनका स्वरूप कहूंगा ।।२७८६-२७६१।। मानुषोत्तर पर्वत तथा उसका उत्सेधादिकालोक्य - जगवीदो', समंतदो अटु-लाख-बोयनया । गंपूर्ण तपरियो, 'परिवेदि 'माणुसरो सेखो ॥२७५२॥ ०००००। प्रर्ष :-कालोदकसमुद्रको जगतीसे पारों मोर पाठ लाख ( ८००... ) योजन प्रमाण जाकर मानुषोसर नामक पर्वत उस दीपको सब मोर वेष्टित किये हुए है । २७६२।। सगिरियो उन्हो , मत्सरस - सयाणि एकवीसं च । तोसहियं जोमन - चस्सया गाडमिगि • कोसं ॥२७६।। १७२१ । ४३०को। मर्ग :-इस पर्वतकी ऊंचाई सत्तरहसी हक्कीस । १७२१) योजन और अवगाह ( नोव) । पारसी तीस { ४३०) योजन तथा एक कोस प्रमाण है ।१२७९३॥ जोषण - सहस्तमेप, बाबीसं सग - सयाणि सेवोतं । बर-सय-चवीसाई, कम-हंवा मूल-'मम-सिहरेसु॥२७६४।। १०२२ । ७२३ । ४२४ । वर्ग:-इस पर्वतका विस्तार मूल, मध्य और शिवरपर क्रमशः एक हजार नाईस (१०२२) योजन सातसो तेईस (७२३) और पारसो चौबीस (४२४} योजन प्रमाण है ॥२७६४॥ १. द...क.ब. स. पमरीयो। २. ...... परिसरवि । , 4. मामुमुत्तरा, ब.क. ३. मानुसुत्सर। ४ इ. एस्कतो। ...१७३१ । ...... मपरिक ब. मरिमभूम।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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