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तिलोत्त
कालोदकको बाह्य परिधि
इगिनउदि लक्खाणि सदर सहस्साणि छत्यागिपि । पंचुत्तरो य परिहो, बाहिरमा तरल लिंचूजा ॥२७८३॥
६१७०६०५ ।
अर्थ आप
प
अर्थ :--उस ( कालोद समुद्र ) की बाह्य परिषि इक्यानबं लाख सत्तर हजार छसो पाँच
योजनसे किञ्चित् कम है ।। २७८३ ।।
यथा - /२६००००० x १० = ९१७०६०५ योजनोंसे कुछ अधिक है ।
नोट :- गाथा में बाह्य परिधिका प्रमाण ६१७०६०५ योजन से कुछ कम कहा गया है जबकि गणित की विधि से कुछ अधिक आ रहा है ।
कालोदसमुद्रस्य महस्योंकी दीर्थतादि
भट्टरस जोवनानि दोहा वीस वास संपुग्ला । वासद्ध बहुल सहिदा, गई
मुहे
१६।३।३।
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4
[ गाया । २७८३ - २७०६
अर्थ :- इस समुद्र के भीतर नदीप्रवेष्ट स्थानमें रहनेवाले जलधर जोनों की लम्बाई अठारह (१८) योजन (१४४ मीस) चौड़ाई नो (१) योजन ( ७२ मोस ) और ऊँचाई साढ़े चार ( ४३ ) योजन (३६ मील ) प्रमाण है ।।२७६४।।
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कालोवह बहुमन्ते, मच्छाणं दीह वास बहलाणि ।
इसीसद्वारस
"
जब जमरणमेताणि रूमसो व १२७८५ ॥
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३६ । १८ । । ।
वर्ष :- कालोदसमुद्रकै बहुमध्य में स्थित मस्स्योंकी लम्बाई ३६ योजन ( २६८ मील ), चौड़ाई १८ योजन ( १४४ मील ) और ऊंचाई १ योजन प्रमाण है ।। २७८ ॥
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जलचरा होति ।। २७८४||
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शेष जलचरोंकी अवगाहना
भबसेस ठाण म, बहुबिह-ओगाहणेण संयुक्ता ।
मयर सिसुमार कृच्छ कप्पहृषिमा
होति ॥२७८६ ॥