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________________ गाया : २७८०-२७८२ ] चल्यो महा हियारो [ ७४७ :- पुष्करिशियों वापियों और कल्पवृक्षोंसे परिपूर्ण जतने हो कुमानुषद्वीप उस कासोद-समुद्र के बाह्य भागमें भी स्थित हैं ।। २७७२ ॥ एवाको वन्णनाम्रो सवगसमुह व एत्य तया । कालोदय लवाणं छण्णउवि कुभोग भूमी · :- यह सब वर्णन लवणसमुद्रके स और लवण समुद्र सम्बन्धी कुभोग भूमियां पानी है ।। २७८० ॥ - युग-प्र-गण-गवयं, इन्च-छ-यु-लक्क दुगिगि-तिय-पंच | अंक कमे जोयणया, करलोदें होरि गणिद यथा - / २१०००००x१० ११२६२६४६१०८२ योजन । ॥२७८० ॥ यहाँ भी कहना चाहिए । इसप्रकार कालोदक कालोदक- समुद्रका क्षेत्रफल - WET { २१०००००२ जम्बूद्वीप बराबरके ये ६७२ *३१२६२६४६६०६२ । अर्थ :- कासोदक-समुद्रका क्षेत्रफल दो, आठ, सूम्प, नौ, छह, बार, छह, दो, छह. दो, एक, तीन और पांच इस अंक कमसे जो संख्या निर्मित हो उतने ( ५३१२६२६४६१०८२) योजन प्रमाण है ।।२७६१।। " - · — कालोदक समुद्रके जम्बुद्वीप प्रमाण खण्ड जंबूरी महीए, फलम्पमानेव काल जवहिस्मि' । शेतफल फित, दस्तय - - ४१३००००० x १o x 3gp १३०००००* ) : १०००००१ होते हैं। 1. 4. 4. 5. M. 7. afgia | 3. e. a. 4. 4. T. THỊTỞI पर की फलं ।।२७८१॥ बाहत्तरी होदि ॥२७८२॥ ६७२ । म :- जम्बूद्वीप सम्बन्धी क्षेत्रफल के प्रसारणसे कालोदधि समुद्रका सम्पूर्ण क्षेत्रफल कश्मेपर वह उससे छहसी बहत्तर गुणा होता है ।।२७८२ ॥ - प ६७२ खण्ड । कालोदधिसमुद्र के
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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