SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 766
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा : २७४८-२७५० ] __ उत्थो महाहियारो [ ७३६ सुहिमवान् पर्वतका क्षेत्रफल-- हिमवंतस्स यथे, पाय संग्स्स संघमाणम्मि । संगुणिवे जं सस, तं तस्स हवेदि खेसफल ।।२७४६॥ पउसीदी - कोडीनों, लसावि जोगाणि हॉगवोस । गावण - सय तिखट्ठी, ति • कलाओ सस्स परिमानं ॥२७४६॥ ___ हिमयन्तस्म क्षेत्रफलम्-८४२१०५२६३ । । मर्ग :-धातकोखण्डके विस्तारको हिमवान् पर्वतके विस्तारसे गुणा करनेपर जो संख्या प्राप्त हो उतना हिमवान् पर्वतका क्षेत्रफल होता है। जिसका प्रमाण चौरामो करोड़ इक्कीस लाख बावनसा तिरेसठ योजन और सीन कला है ।।२७४८-२७४६॥ हिमवान् पर्वतका क्षेत्रफल-1000.0 -- २१०५५/-८४२१०५२६३१ यो । महाहिमवान् प्रादि पर्वतोंका क्षेत्रफलएवं घिय पर - गुणिलं, महहिमवंतस्स होवि खेत्तफलं । शिसाहस्स तच्चाउगुण, चउ - गुण - हारगी परं तत्तो ।।२७५०॥ महाहिमवंत ३३६८४२१०५२ । ३३ । णिसह १३४७३६८४२१०। । खील १३४७३६८४२१. 18 रुम्मि ३५६८४२१०५२।३। सिखरी ८४२१०५२६३ ।। एदाणि मेसिपूर्ण दुगुणं कादव्यं तल्चेदं–७०७३५८४२१०५ । । अर्थ:-हिमवान् के क्षेत्रफलको चारसे गुणा करनेपर, महाहिमवानका क्षेत्रफल मोर महा. हिमवान्के क्षेत्रफलको भी पारसे गुणा करनेपर निधष पर्वतका क्षेत्रफस होता है। इसके मागे फिर पोमुनी हामि है ॥२७५०॥ क्षेत्रफल-महाहिमवान् ३३६८४२१०५२ योजन। निषभ १३४७३६८४२१." योजन । भौल १३४७३६८४२१. मो० । रुक्मि १३६८४२१०५२११ योजन और शिखरी ८४२१.५२६३ योजन । धातको बाड़में दो मेरु पर्वत सम्बन्धी बारह कुलाचल पर्वत है अत: इन छाह पर्वतोंके क्षेत्रफलको मिलाकर दुगुना करनेपर । ५५३६८४२१०१२ x २) = ७०५३६८४२१०५१ योजन प्राप्त होते हैं। -- - -- --- -- - - -- प... क. ज... मेखिदूस काय चपेवं ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy