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तिसोयपणाती
[पापा ! २७४४-२७४४ दोनों चोंको अन्तिम और दोनों वनोंकी आदिम लम्राईछनचर - सग - छक्कमक - तु अंसा चालीसमेत दोहरू । बो - विजए आविभए, वेवारणम्मि मूहरणाए ॥२७४४।।
२१६७४६। । अर्थ:-उपयुक्त दोनों देशोंकी [मन्तिम] और देवारण्य तपा भूतारण्यको आदिम लम्बाई छह, बार, सात, छह एक मोर दो, इस बंक-क्रमसे जो संस्था उत्पन हो उससे पालोस भाग अधिक
अर्थात् २१६७४६१२ योजन प्रमाण है ।।२७४४॥ rafa - २३R TAKEN चोजन ।
दोनों वनोंको मध्यम लम्बाईछप्पण-पव-तिय-इगि-दुग, भागा मट्ठीहि पहिय-सयमेतं । भूवावेबारणे होवि मणिमल्ल - बोहरी ॥२०४५।।
२१३९५६ 18 अर्थ:-भूतारय मोर देवारम्य वनमेंसे प्रत्येकको मध्यम लम्बाई छह, पाच, नौ, तीन, एक और दो, इस अंक-क्रमसे ओ संस्था उत्पन्न हो उससे एकसौ साठ भाग सपिक अर्थात २१३९५६11 योजन प्रमाण है ॥२७४५।।
. दोनों वनोंको अन्तिम लम्बाईसग-छक्केविकागि'-गि-बुग, भामा मट्टि वेवरचम्मि । तह चैव भूवरम्णे, पसेक अंत • बोहत ॥२७४६॥
२१११६७ । । प्र :-देवारण्य और भूतारण्यमेंसे प्रत्येकको मन्तिम सम्बाई सात, छह एक एक, एक और दो, इस वेक-क्रमसे जो संस्था उत्पन्न हो उससे प्रासठ भाग अधिक पर्यात् २१११६७४ योजन प्रमाण है ।।२७४६।। २१३९५६११-२७ -२२११६७ योजन।
इच्छित क्षेत्रोंकी लम्बाई का प्रमाणकन्यादी - विजयावं, माधिम-मझिाल-परम-मोहम्मि ।
विजपढ़ • दमवणिय, प्रब - कदे तस्स बीहत ॥२७४७॥
पर्ष:-कच्छादिक देशोंकी आदिम, मध्यम और अन्तिम लम्बाईमेंसे विजयाके विस्तार को घटाकर शेषको आधा करनेपर उसकी लम्बाई का प्रमाण प्राप्त होता है ॥२७४७।।
१. द... क... प्रयोगावि।