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________________ ७३८ ] तिसोयपणाती [पापा ! २७४४-२७४४ दोनों चोंको अन्तिम और दोनों वनोंकी आदिम लम्राईछनचर - सग - छक्कमक - तु अंसा चालीसमेत दोहरू । बो - विजए आविभए, वेवारणम्मि मूहरणाए ॥२७४४।। २१६७४६। । अर्थ:-उपयुक्त दोनों देशोंकी [मन्तिम] और देवारण्य तपा भूतारण्यको आदिम लम्बाई छह, बार, सात, छह एक मोर दो, इस बंक-क्रमसे जो संस्था उत्पन हो उससे पालोस भाग अधिक अर्थात् २१६७४६१२ योजन प्रमाण है ।।२७४४॥ rafa - २३R TAKEN चोजन । दोनों वनोंको मध्यम लम्बाईछप्पण-पव-तिय-इगि-दुग, भागा मट्ठीहि पहिय-सयमेतं । भूवावेबारणे होवि मणिमल्ल - बोहरी ॥२०४५।। २१३९५६ 18 अर्थ:-भूतारय मोर देवारम्य वनमेंसे प्रत्येकको मध्यम लम्बाई छह, पाच, नौ, तीन, एक और दो, इस अंक-क्रमसे ओ संस्था उत्पन्न हो उससे एकसौ साठ भाग सपिक अर्थात २१३९५६11 योजन प्रमाण है ॥२७४५।। . दोनों वनोंको अन्तिम लम्बाईसग-छक्केविकागि'-गि-बुग, भामा मट्टि वेवरचम्मि । तह चैव भूवरम्णे, पसेक अंत • बोहत ॥२७४६॥ २१११६७ । । प्र :-देवारण्य और भूतारण्यमेंसे प्रत्येकको मन्तिम सम्बाई सात, छह एक एक, एक और दो, इस वेक-क्रमसे जो संस्था उत्पन्न हो उससे प्रासठ भाग अधिक पर्यात् २१११६७४ योजन प्रमाण है ।।२७४६।। २१३९५६११-२७ -२२११६७ योजन। इच्छित क्षेत्रोंकी लम्बाई का प्रमाणकन्यादी - विजयावं, माधिम-मझिाल-परम-मोहम्मि । विजपढ़ • दमवणिय, प्रब - कदे तस्स बीहत ॥२७४७॥ पर्ष:-कच्छादिक देशोंकी आदिम, मध्यम और अन्तिम लम्बाईमेंसे विजयाके विस्तार को घटाकर शेषको आधा करनेपर उसकी लम्बाई का प्रमाण प्राप्त होता है ॥२७४७।। १. द... क... प्रयोगावि।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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