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________________ पाषा : २७१६-२७१८ ] - उत्थो महाहियारो [ ७२९ दोनों देशोंको मन्तिम और दो वक्षार पर्वतोंको आदिम सम्बाईपरण-पम-बस-पम-अर-युग, घसा ता एव बोसु विजयासु। मंतिल्लय • दोहच, बक्सार • युगम्मि माविल्लं ।।२७१६॥ २८५४५५ । । मर्म:-उपयुक्त दोनों देशोंको अन्तिम और श्रद्धावान् एवं पारमाम्जन नामक दो वक्षार पर्वतोंकी आदिम लम्बाई पांच, पांच, चार, पांच, आठ और दो इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसौ छपान भाग अधिक ( २८५४५५६५ यो०) है ।।२७१६।। २६. ०३ TE A दोनों पक्षारोंको मध्यम लम्बाईप्रा-सग-गव-बउ-अर-युग भागा छत्तीस-पहिय-सयमेशक । सरवावणमायंजण : पिरिम्मि मणिमल्ल • यौह ॥२७१७॥ २८४९७८ । । पर्य:-श्रद्धावान और पारमान पर्वतोंकी मध्यम लम्बाई बाठ, सात, नौ, पार, पाठ और दो, इस अंक-क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उससे एकसो छत्तीस भाग अधिक ( २६४९७ योजन प्रमाण ) है ।।२७१७॥ २८५४५५११ - ४७७.६२८४६८१५ योजन । दोनों वक्षारोंको अन्तिम पौर दो देशों को आदिम लम्बाईरगि-गभ-पण-चउ-पर-दुग, भागा छाहत्तरी य तिल्लं । बोहं दोसु गिरीसु', प्रादीनो दोषण - विजयाणं ॥२७१८॥ २८४४०१ । :-उपयुक्त दोनों वक्षार पर्वतोंको अन्तिम मौर सुपपा तमा रमणीया नामक क्षेत्रोंमेंसे प्रत्येककी मध्यम लम्बाई एक, यून्य, पांच, चार, भाठ मोर दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उससे खपत्तर भाग अधिक अर्थात् २०४५० योजन प्रमाण है ।।२७१८॥ २८४९७८ - wwm-२८४५० योजन ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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