________________
पाया : २६४०-२६४४ ] चउत्यो महाहियारो
[ ७.५ घातकी-वृक्ष एवं उनके परिवार वृक्षोंका निरूपणउत्तर - - कुरुसु, खेतेसु तस्य पावई - कक्षा । चिटुते गुणणामो, तेण पुढं पाईसंहो' ॥२६४०॥
प्र :-धातकोखण्डद्वीपके उत्तरकुरु और देवकुरु क्षेत्रोंमें पातकी (पापलेके ) वृक्ष स्थित हैं. इसी कारण इस द्वीपका 'धातकोखण्ड' यह सार्थक नाम है ।।२६४०11
घावर - तरूण ताणं, परिवार - दुमा हति एसि । वोम्मि पंच-सरखा, सद्धि - सहस्साणि घर-सयासी ॥२६४१॥
५६०५००। प-इस द्वीपमें उन पातकी-वझोंके पांच लाख साठ हजार चारसो प्रस्सी { ५६०४६० ) परिवार वृक्ष हैं ।।२६४१।।
पियवसणो 'पहासो, अहिबइदेवा, पसंति तम इमेज SES
सम्मत - रयण - जुत्ता, वर • मूसा - मूसिवायारा ॥२६४२॥
मर्थ :-उन वोपर सम्यमस्वरूपी रत्नसे संयुक्त और उत्तम भूषणोंसे भूषित रुपको धारण करनेवाले प्रियदर्शन और प्रभास नामफ दो अधिपति देव निवास करते हैं ।।२६४२।।
पावर - अणावराणं, परिवाराबो हवंति एवागं ।
वुगुणा परिवार • सुरा, पुष्बोदिद - पण्णणेहि सुदा ४२६४३॥
पर्ष :-इन दोनों देवोंके परिवार-देव, आदर और अनादर देवोंके परिवार देदोंकी अपेक्षा दुगुने हैं, जो पूर्वोक्त वर्णनसे संयुक्त हैं ।।२६४३।।
मेरु आदिकों के विस्तारका निरूपणगिरि-महसाल-विजया, बक्सार-विमंगलरि-सुरारण्णा' ।
पुष्वायर - वित्यारा, वत्तव्या पावईसं ॥२६४४॥
पर्ष :-( अब ) घातकीखण्डमें गिरि ( मेरुपर्वत , भदशालवन, विजय (क्षेत्र), वक्षारपर्वत, बिभंगानवी मौर देवारण्य इनका पूर्वापर विस्तार कहना चाहिए ॥२६४४।।
१. द. ३. क. अ. य. 3
। २.६, म. य. प्रभा । ३...म. सुरोपण्णा।