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________________ जः :.. EिET ? गावा । २६३४-२६३६ ] चउत्यो महाहियारो [ ७.५ म:-घातकीखण्डपमें दोनों ( उत्तर एवं देव ) कुरुषोंका धनुःपृष्ठ नौ लाख पच्चीस हजार पारसी छपासो ( ६२५४८६ ) योजन प्रमाण है ।।२६३३।। कुरुकंवोंको जीवावो जोयण-सम्माणि, सेवोस - सहस्सयाणि एक-सयं । अट्ठावमणा जीवा, कुरखे तह पावईसंडे ॥२६॥ २२३१५८ । प्र :-घातकीखण्डद्वीपमें दोनों { उत्तर एवं देव ) कुरुओं की जीवा दो लाख तेईस हजार एकसौ भट्ठावन ( २२३१५८ ) योजन प्रमाण है ।।२६३४॥ वृत्तविस्तार निकालनेका विधानइस-चाणं घउ-गुभिवं, गोवा-वगम्मि पनिखबेक्न सको। पउगणिवनसु - विहतं', लब' बट्ट - वासो सो ॥२६३५॥ प्रपं:-बाणके वर्गको चौगुना करके उसमें जीवाका वर्ग मिला दें। पश्चात् उसमें चौगुने माणका भाग देनेपर जो लम्ध प्रावे उतना वृत्त ( गोल ) क्षेत्रका विस्तार होता है ।।२६३।। मया:-1 {६६६८० x ४ + (२२३१५८ )"+ ३६६६८० x ४)] = ४.०६३२ अर्थात् कुछ कम ४०.६३३ योजन । कुरुक्षेत्रोंका वृत्त विस्तारउन्जोयण लावाणि, छस्सय • अत्ताणि होसि तेतीसं । दो - उत्तर - कुरवाणं, पत्तेमकं बट्ट - पिरलंभो ॥२६३६॥ मर्ग :-दो उत्तर ( एवं दो देव ) कुरुओंमेंसे प्रत्येकका वृत्त-विस्तार चार लाब छहसी संतीस ( ४००६३३ ) योजन प्रमाण है ॥२६३६।। ...ब.प. उ. विहित ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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