SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 705
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७८ ] तिलोपपण्णत्ती कुमानुष द्वोषोंमें कौन उत्पन्न होते हैं ? उसका निरूपण f मिच्छत्त- तिमिर छण्बर, मंग कसाया पियंधवा कुडिला । मिच्छा देवेस भतिपरा ।। २५४०॥ धम्मफलं मग्नता सुद्धोवण-सलिलोदण- कंजिय-असरावि-कट्ठ-सुकिलिट्ठा । किलेस जयंता ||२५४१ ।। पंचरिंग तवं जिसमें, फाय · सम्मत- रमरण- हीणा, कुमानुसा लवणजलहि दोबेस । उपपति अण्णा, अण्णाण जलम्मि मता ।।२४४२ ॥ - जे मायाचार इरिस a ए:- मिथ्यात्वरूपी अन्धकार से प्रास्छन्न मन्द- कषायी, प्रिय बोलनेवाले, कुटिल (परिणाम), धर्म-फलको खोजनेवाले, मिथ्यादेवोंकी भक्ति में तत्परः सुद्ध श्रोदन, जल और प्रोदन एवं कांजी खाने कसे संक्लेशको प्राप्त विषम पञ्चाग्नितप तथा कायक्लेश करनेवाले और स्वरूपी रतनसे रहित अज्ञानरूपी जलमें गूबते हुए मधन्य ( पुष्यहीन या प्रकृतार्थ या बशानी ) जीव लवणसमुद्र के द्वीपोंमें कुमानुष उत्पन्न होते हैं ।। २५४० - २५४२ ।। अवि-मारण- गवा जे. साहून कुषंति किंचि 'प्रवमाणं । संजय लव कुत्ता, जे निबंधान सभा बेंति ।। २५४३ ।। · - · - w पारव पूल सहमादिवाएं, जे सम्झाय - वंदनाओ, में मेडिय सुनि संघ, जे कोण य कलहं रवा, संगम-सब-योग-बज्जिदा पाया । साव [ गाथा २५४० - २५४६ - → - गढ़वा जे मोहमाबन्या ।।२५४४ ।। पालोचंति गुब-जन-समीये । पुरु सहिया या कुम्बति ।। २५४५ ।। वसंत एकाकिनो दुराचारा । "सव्र्व्वहितो पकुव्वंति ।। २५४६ ।। १. प. म. म. उ. तिमिरता। २. बचाव.क. म. प. उ. प्रमाणा ४.ब.क. ज. प उ सम्पत ६ ६ ३ . . प. उ
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy