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तिलोयपरणती
[ गापा : २४२१-२४२४ जितने काह, जितनी नदियों, जितने वन-समूह, जिसनी देव-नगरियां, जितने जिनेन्द्र-भवन, जितनी विधाघर श्रेणियो, जितने नगर, प्राय खण्हों की जितनी नारया. जितने पर्वत बौर जितने मह है, उनमें से प्रत्येक के अपने-अपने योग्य उतनी ही वेदिया है। इन वेदियोंकी ऊंचाई पाषा योजन और विस्तार पांचसौ धनुष प्रमाण है ।।२४१८-२४२० ।।।
गरि बिसेसो एसो, कारणस्स मूबरण्यस्त ।
मोयगमेक्कं 'उबनो, दंड - सहस्सं च विस्थारो ।।२४२१।।
पर्व :--विशेष यह है कि देवारण्य और मूतारण्यको वेदियोंकी ऊंचाई एक योजन तषा विस्तार एक हजार धनुष प्रमाश है ।।२४२१।।
जिनमवनोंको संख्याकुं-पणसंर - सरिया - सुरणयरी- सेल-तोरणहारा । विगाहर - पर - सेदो - गपरन्मामंड - गयरीनो ।।२४२२।। वह • पंचय - पुण्यावर - विह-गामावि-सम्मली-कसा ।
बेतियमेशा जंडू - रुक्माई सेतिया हिण - गिफया ॥२४२३।।
पर्व:-कुण, वनसमूह, नदियां, देवनगरिया, पर्वत, तोरणवार, विद्याधर श्रेणियोंके उत्तम मगर, मायंबणोंकी नगरिया, द्रह पंचक ( पांच-पांच दह, पूर्वापर-विदेहों के ग्रामादिक, शाल्मलीक्ष और जम्बूदक जितने हैं उतने ही मिन-भवन भी हैं ।।२५२२-२४२३॥
कुस-शैलादिकोंकी संख्याछाकुल-सेला सम्बे, विजयटा होति तोस बउ - जसा । सोलस वालारगिरी, वारणवंता य पत्तारो ॥२४२४॥
६। ३४ । १६ । ४। प्रर्ष:-जम्बूद्वीपमें सब कुलपर्वत छह, विजयाचं चौतीस वक्षारगिरि सोलह और गजवन्त पर्वत चार है ॥२४२४१॥
.व.ज.रेश्यो
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