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________________ गावा : २३३६-२३४४ ] पढत्यो महाहियारो [ ६२५ बारह दिसा-नदियों का वर्णनाव EART ATTE रोहोए सम बारस-विभंग-सरियामओ वास - पादोहिं । परिवार - गईमो तह, दोसु बिबेहेस पत्तेकं ॥२३३६।। २८०००। अम:-दोनों विदेहोंमें रोहित के सदृश विस्तारादिवासी बारह विभंग-नदिया है । इनमेंसे प्रत्येक नदीको परिवार नदियां रोहितके ही सदृश अट्ठाईस हजार ( २००० ) प्रमाण हैं ॥२३३६॥ कंबण-सोवाणाओ, सुगंध-बह-विमल-सलिल भरिदामो । उववरण - वेदी - तोरण - जराम्रो गवंत - उम्मीओ ॥२३४०।। तोरण-वारा उरिम-ठाण-द्विव-जिग-गिकद-गिविवायो। सोहंति गिरुवमागा, सपलामो विभंग - सरियामओ ॥२४॥ पर्ष:-( सम्पूर्ण विभंग नदियां ) सुवर्णमय सोपानों महित, सुगन्धित निर्मल जलसे परिपूर्ण, उपवन, वेदी एवं तोरणोंसे संयुक्त, नृत्य करती हुई सहरों सहित, तोरण द्वारोंके उपरिम प्रदेशमें स्थित जिनभवोंसे युक्त भौर उपमासे रहित होतो हुई शोभायमान होती हैं ॥२३४०-२३४१॥ देवारण्य-वनका निरूपणसौताए उत्तरदो, दोमोववरणल्स वेहि - परिछमदो । जोलाबल • वस्तिनदो, पुष्यते पोक्तालावी - विसए ॥२३४२।। बेदुम देवार, गागा • तए - संग • मंदिवं रम् । पोखरणी • बाबीहि कमसुम्पल - परिमलिल्लाहि ।।२३४३॥ अर्थ:-सीसानदीके उत्तर, द्वोपोपवन सम्बन्धी वेदोके पश्विम, नीलपर्वतके दक्षिण और पुष्कलावती देवाके पूर्वान्तमें नाना वृक्षों के समूहोंसे मण्ठित तथा कमलों एवं उत्पलोंकी मुगन्धसे संयुक्त ऐसौ पुष्करिणी पौर वापिकामोंसे रमणीक देवारण्य नामक वन स्थित है ॥२३४२-२३४३।। तस्सि देबारणे, पासावा कणय - रयण - रसवमया । बेहो - तोरण - षय - वड - पहुदोहि मंदिरा बिउला ॥२३ ॥
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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