SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 650
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गामा : २३३५-२३३८ ] उत्यो महाहियारो [ ६२३ सियो' पखाबढायोगद - विजय - जाम - कूग य । ते सव्वे रयनमया, पम्बय - उमाग - उच्छदा' ॥२॥३॥ प:-इन से प्रथम सिद्धकट, दुसरा यक्षारके सदृश नामवाला और शेष दो कट वक्षारों के उपरिम प्रौर मघस्तन क्षेत्रों के नामोंसे युक्त हैं । वे सब रस्लमय कूट अपने पर्वतकी ऊँचाईके चतुर्षभाग प्रमाण ऊरे हैं ॥२३॥ सौदा-सीदोवाणं, पासे एसको जिणिव • भषण - जुबो । सेता य तिणि कूग, चतर • गपरेहि रमणिना ॥२३३८।। अर्थ:-सीता-सोतोकानागमें एक मिनभवन युक्त है और शेष तीन कूट ध्यंतर-नगरोंसे रमणीय है ।।२३३८।। विरोधा:-वक्षार पर्वत १६ हैं और प्रत्येक वक्षार पर बार-चार कूट है। इनमेंसे सीता-सीतोदा महानदियों की ओर स्थित प्रथम कूटोंपर जिनमन्दिर हैं और मेष तोन-तीन फूटोंपर प्यन्तर बों के नगर है। इन ६४ फूटोके नाम इस प्रकार है [ तालिका : ४३ अगले पृष्ठ पर देखिए ) ........... शिवा महारगोश्वरिषभो एग बाम ग। ....ब.क. प. य. सीहो।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy