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________________ ६२० ] तिलोयपम्णतो . [ पापा : २३२०-२३२५ प:- इसप्रकार यहां संक्षेपमें कम्छादेशके निस्तारादिका वर्णन किया गया है । शेष क्षेत्रोंका वर्णन मो इसीप्रकार जानना चाहिए ।।२३१६॥ मरि विसेसो एक्को, ताणं रणयरीण अच्च - जामा य । खेमपुरी रिद्वक्ला, रिठ्ठपुरो सग • मंजसा वोण्णि ॥२३२०॥ ओसहणयरी तह पुण्डरोकिको एवमेत्य सामाणि । ससाणं पयरोणं, सुकच्छ - पमहाग विनमाणं ॥२३२१॥ प: पहाँ एक विशेषता यह है कि उन क्षेत्रोंकी नगरियोंके नाम भिन्न है-क्षेमपुरी, रिष्टा, परिष्टपुरी, खड्गा, मञ्जूषा, मौषधनगरी पौर पुण्डरीकिशो, इसप्रकार ये यहाँ सुकच्या आदि सात देशोंको सात नगरियो के नाम हैं ।। २३२१३२ ३३१MARE जी का अट्ठाण एक्क - समो, बच्छ - पमुहाग होवि विजयाणं । वरि बिसेसो सरिया • गयरोग अन्ग - नामाणि ।।२३२२॥ अपं:-बस्सा आदि पाठ देशों में समानता है । परन्तु विशेष यही है कि यहाँ नदियों मोर नगरियोंके नाम भिन्न है ॥२३२२॥ गंगा-सिन्धू-गामा, परि - बिजयं पाहिणीए चिटुति । भरहोस - पगिद - गंगा - सिहि सरिसाओ ।।२३२३॥ पर्ग :-यह! प्रत्येक क्षेत्रमें भरतक्षेत्रमें फहो गई गंगा-सिन्धुके सदृश गंगा और सिन्धु नामरू नदिया स्थित हैं 11२३२३।। रपयरीमो मुलीम - ग्लानो प्रवराजिदा • पहकरया । मंका परमवीया, ताग सभा रयणसंचया रुमसो ॥२३२४॥ मर्य:-सुसीमा, कुण्डला, अपराजिता, प्रभंकरा, का, पद्मावती, शुभा मौर रलसंचया ये क्रमश: उन देशोंकी नरियों के नाम है ॥२३२४॥ अपर ( पश्विम ) विदेहका संक्षिप्त वर्णनपुग्ध - विवेहं ३ कमो, अवर - विवेहे बि एस 'बम्वो। गरि विसेसो एक्को, गयरोग अण्ण - गामाणि ॥२३२५॥ -.. - -.-- -- १ . क.बप. ३. दामो। .
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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