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________________ गाथा : १२०-१२४ ] पउत्थो महाहियारो [ ३७ "वाय, “विमोषिता, ''जयपुरी, शकटमुली, "चतुर्मुख, बहुमुख, "अरजस्का, विरजस्का, सरपनूपुर, मेखलापुर, २ क्षेमपुर, "अपराजित, "कामपुष्प, गगनचरी, विजयवरी, ''शुक्रपुरो, "संजयंत नगरी, 'जयंत, विजय, वैजयंत, "समयूर, चन्द्राभ, "सूर्याभ, "पुरोत्तम, चित्रकूट, "महाकुट, "सुवर्णकूट, त्रिकट, विचित्रकूट, मेघकूट, श्रवणकूट, ४"सूर्यपुर, चन्द्र, नित्योपोत, विमुखी, नित्यवाहिनी और मुमुखी, ये पचास नगरिया दक्षिण घेणी में हैं ।।११४-११६।। एवाओ परीओ, पण्णासा बक्षिणा य सेढोए । विजयड्ढायामेचं, विरचिव पंतोए णिवसति ॥१२०।। पर्ष:-दक्षिण थेणी में ये ( उपयुक्त ) पचास नगरिया है, जो विजया को सम्बाई में पंक्तिबद्ध स्थित है ॥१२०॥ विजयार्ष की उत्तरप्रेणीगत नगरियोके नाम--- 'प्रज्जुन-अहगो-कालास'-चारचोओ य विजुपह-जामा । किलकिल-शमणिय, ससिपह-साल-पुष्कधूलाई ॥१२१॥ णामेन हंसगम्भ, बसाहक-सिबंकराय सिरिसाउ' । बमरं सिवमविर-असमक्ला-सुमई ति गामा च ।।१२२॥ सिद्धायपुरं सलुजयं च गामेण केदुमालो सि । सुरवाकतं तह पगगणरणं पुरमसोगं च ॥१२॥ सत्तो विसोकय पीवसोक - अलकाइ-तिलक - णामं । अंबरतिसकं मंबर -मुरा के च गयणवल्लभयं ।।१२४॥ २. ब. क.बा.ब. न. कइसाये। . द.क.ब.न. १.२.३.क. उ. मंजुत, क. य. मजुल । ४. क. र. गवर्ण । स ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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