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तिलोयपगती
। गापा : २२५३-२२५७ प:-अमूढीपके विस्तार से नम्ब हजार (50.00 ) योजन कम कर देने पर जो शेष रहे उतना मासिका मूलमें:
मिरमान ५४४६५६ विशेषार्थ :-{ २२१२६४१६)+(५०.४८)+ (१२५४६)-( २६२२४२) + ( २२००.४२)=१००० योजन । =१००००० - ६...-१०००० योजन मुमेरुका मूल व्यास ।
पूर्वापर विदेहका विस्तारउवण - साहस्साणि, सोहिय बोबस्स' बास-मम्मि । सेसर पुग्दावर - विवेह • मा ५ पतग ।।२२५५।।
५४००० । २३०००। प्रबं;-अम्बूद्वीपके विस्तारमेंसे चौकन हजार (५४००० } घटाकर शेषको प्राधा करनेपर पूर्वापर विदेहमें से प्रत्येकका प्रमाण ( २३००० यो०) निकलता है ।।२२५५।।
विरोधा:- भद्रशालका विस्तार ( २२००.४२)=४४०..+ १०.०० मेकका मूल विस्तार-५४००० योजन।
१००.००-५४०००
11०९-२३०० योजन पूर्व अथवा अपर विवहका विस्तार ।
क्षेत्र, वक्षार और विभंगाकी लम्बाईका प्रमाणसीता - 5 सोहिय, विरह - रुदम्मि सेस - इलमेतो। मायामो विजयाणं, वखार - विभंग - सरियारणं ॥२२५६।। सोलस-सहस्सयाणि, बारगउदी समाहिया य पंच - सया । यो भागा पक, विजय - पहुवीण बोहत ॥२२५७।।
१६५६२ ।क ।
१६.प.क. प. य. छ. दिबस्त |