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________________ गापा । २२०४-२२०८ ] पउत्यो महाहियारो [ ५६१ पुह पुह बीत-सहस्सा, सम्मलि-रुक्खाच वक्तिणे भागे । बसम-खिवीए मनिझम • परित - सुराणं च बेणु - जुगे ।।२२०४॥ २०००० । २००००। मर्च :-दसवीं पृपिवीके दक्षिणभागमें वेणु एवं वेणुधारो सम्बन्धी मध्यम पारिषद देवोंके पृषक-पृथक बीस-बीस हजार ( २००००-२००००) शाल्मलोवृक्ष हैं ॥२२०४।। पुह चडवोस-सहस्सा, सम्मलि-रुक्खाग गरिवि-विभागे । एक्कारसम - महोए, बाहिर • परिसामराव बोपण पि ॥२२.५॥ २४००० । २४०००। म: - मारहवीं भूमिके करम दिग्विभागमें उक्त दोनों देखो के बाद पारिषद देवोके पृथक्-पृथक् चौबीस-चौबीस हजार ( २४०२०-२४००० ) शाल्मलीवृक्ष हैं ।।२२०५।। ससु य अपिएसु, अहिवार - देवाण सम्मली • एक्ला । बारसमाए माहोए, सत्त - बिय परिछम - विसाए ॥२२०६॥ ७।७। प्रबं:-बारहवीं भूमिको पश्चिमदिशामें सात मनीकोंके अधिपति देवोंके सात ही। शाल्मली वृक्ष हैं ।।२२०६१ लक्कं चाल - सहस्सा, बोसुत्तर-सय-जुवा य ते सध्धे । एम्मा अणाइणिहणा, संमिलिया' सम्मली - सा ॥२२०७।। १४०१२० । अर्थ:-रमणीय और अनादि-नियन के शाल्मली वृक्ष सब मिलकर एक लाख चालीस हजार एफसी वीस ( १४०१२० ) हैं ।।२२०७।। तोरण - वेदी • जुत्ता, सपार - पोखा अकिहिमामारा। घर-पग चिद-साहा, सम्मलि • एपला विराति ।।२२०८।। -- - - १.६.३.क.ब.प.स समेलिया ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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