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तिलोयपष्णती
1: १५०-२१५४
जमगणिरिवाहितो, पंच - सया जोपणारिण मंचूर्ण । पंच बहा पत्तकं, सहस्स - बल • जोमर्मतरिया ॥२१५०।।
म :-यमक-पर्वतों आगे पाचसो {५०.) पोजन जाकर पांच दइ है, जिनमेंसे प्रत्येक इइ प्रधंसहस्र ( ५०० ) योजन प्रमाण दूरी पर है ॥२३१०॥
पौल - कुरु' - चंद • एरावया य पामेहि मालवंसो म ।
ते दिव्व' - दहा निसहरहावि - घर-बगहि जुदा ॥२१५१॥
पर्ष :--नील, मुर ( उत्तर कुरु), चन्द, ऐरावत और माल्यवन्त, ये जन दिम्म ब्रहोंके नाम है। ये दिव्य दह निषध दहादिकके उत्तम वर्णनसि युक्त हैं ॥२१५१।।
दु • सहस्सा बापरवी-मओयण-दोमाग-कनकोस-हिरा। रिम-वहादो पालिय-भागे प्रमाण होलिपूर होती११२
।२०९२० । मर्ग :-अम्तिम द्रहसे दो हजार गान योजन भार उनीससे माजित यो भाग ( २०१२0 योजन ) प्रमाण जाकर दक्षिण मागमें उत्तम पेयी है ।।२१५२।।
पुग्वायर • भाएस, सा गपदंताचसान संलग्गा । इगि कोयममुक्त गा, पोयम • अट्टस' - विरपारा ।।२१५३॥
। सो १।१२०० म: पूर्व-पश्चिम-भागोंमें गमवन्त-पर्वतोंसे संतान यह वेदी एक योजन ऊंची और एक योजनके माठवें भाग ( १००० दण्ट ) प्रमाए विस्तार सहित है ।।२१५३।।
चरियालय-परा, सा देसी विबिह-पय-बहि जुरा। रोवरिम - ठिदेहि, जिरिंगब - भवहि रमनिम्जा ।।२१५४।।
इ.स. क. 4. 4. ज. 3. कुष्रएमाला। २......... हिम प. द.. क. ब..... मागा। ४.प. प.क. 3. 3. प'। ... ... ... ... ... परिवार । - ब. ब., दारोबरिपरिरहि, क. दारोबरिमसहि, बा. स. भारोपरमतमेहि ।