SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 605
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५५ ] तिनोयपश्यत्ती [ गापा : २१४०-२१ तेवीस - सहस्साई, गोषणा छस्समा चुससीवो। सनवीस • हिरामो पर - फलामो बेबीए गोहतं ॥२१४०।। । ३३६८४ । । मर्म:-वेदीकी लम्बाई संतीस हजार छह सो चौरासी योजन पोर उनीससे भाबित चार कला ( ३३६८४ योजन ) प्रमाण है ॥२१४०॥ सौना नदीका वर्णनउपरिम्मि गोस-गिरिणो, विवाहो केसरि सि विक्खायो। तस्स य क्लिन - वारे, णिगाच्याइ परमई सौवा ॥२१४१॥ HIRTE : - प्र वलनात नसे दिव्य दह है । उसके दक्षिण-द्वारसे सीता नामक उत्तम नदो निकलती है ॥२१४१।। सौगोषये सरिच्छा, पडिकणं सौर - कुं' - उरि मि । तपिलम • दारेख, शिक्कामगि वरिखए - मुहेणं ।।२१४२।। मचं :-सोतोदाके सदृश हो सीतानदी सीतः कुण्ड में गिरकर दक्षिण-मुख होती हुई उसके दक्षिण द्वारसे निकलती है ॥२१४२॥ किमिदूर्ण पाचवि, दक्षिण-मामेण जाव मेरुगिरि । दो-कोसेहिमपाविय, पुवमूही बालवि तत्ति - अंतरिका ।।२१४३।। पर्व:-वह नदी कुण्डसे निकलकर मेह पवंस तक दक्षिणकी ओरसे जातो हुई दो कोससे उस मेरु-पर्वतको न पाकर उसने मात्र ( २ कोस ) अन्तर सहित पूर्वको मोर मुड़ जाती है ।।२१४३।। सेलम्मि' मालबते, गुहाए पक्षिण • मुहाए पविसेदि । गिस्तरिदूगं गज्याद, 'मुग्लिा मेस्स ममतं ।।२१४४॥ मर्ग: बह सौता नदो मास्यवंत पर्वतकी दक्षिणमुखवासी गुफामें प्रवेश करती है। पश्चात् उस गुफासे निकलकर कुटिलरूपसे मेह-पर्वतके मध्यभाग तक जाती है । २१४४।। नोरकर। २. प.ब. क. ज. प. चा, 3, सोनम । ३ ..... ...ब.क.ब.प... . टिसापा।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy