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तिनोयपश्यत्ती
[ गापा : २१४०-२१ तेवीस - सहस्साई, गोषणा छस्समा चुससीवो। सनवीस • हिरामो पर - फलामो बेबीए गोहतं ॥२१४०।।
। ३३६८४ । । मर्म:-वेदीकी लम्बाई संतीस हजार छह सो चौरासी योजन पोर उनीससे भाबित चार कला ( ३३६८४ योजन ) प्रमाण है ॥२१४०॥
सौना नदीका वर्णनउपरिम्मि गोस-गिरिणो, विवाहो केसरि सि विक्खायो।
तस्स य क्लिन - वारे, णिगाच्याइ परमई सौवा ॥२१४१॥ HIRTE : -
प्र वलनात नसे दिव्य दह है । उसके दक्षिण-द्वारसे सीता नामक उत्तम नदो निकलती है ॥२१४१।।
सौगोषये सरिच्छा, पडिकणं सौर - कुं' - उरि मि । तपिलम • दारेख, शिक्कामगि वरिखए - मुहेणं ।।२१४२।।
मचं :-सोतोदाके सदृश हो सीतानदी सीतः कुण्ड में गिरकर दक्षिण-मुख होती हुई उसके दक्षिण द्वारसे निकलती है ॥२१४२॥
किमिदूर्ण पाचवि, दक्षिण-मामेण जाव मेरुगिरि ।
दो-कोसेहिमपाविय, पुवमूही बालवि तत्ति - अंतरिका ।।२१४३।।
पर्व:-वह नदी कुण्डसे निकलकर मेह पवंस तक दक्षिणकी ओरसे जातो हुई दो कोससे उस मेरु-पर्वतको न पाकर उसने मात्र ( २ कोस ) अन्तर सहित पूर्वको मोर मुड़ जाती है ।।२१४३।।
सेलम्मि' मालबते, गुहाए पक्षिण • मुहाए पविसेदि ।
गिस्तरिदूगं गज्याद, 'मुग्लिा मेस्स ममतं ।।२१४४॥
मर्ग: बह सौता नदो मास्यवंत पर्वतकी दक्षिणमुखवासी गुफामें प्रवेश करती है। पश्चात् उस गुफासे निकलकर कुटिलरूपसे मेह-पर्वतके मध्यभाग तक जाती है । २१४४।।
नोरकर। २. प.ब. क. ज. प. चा, 3, सोनम । ३ .....
...ब.क.ब.प... . टिसापा।