SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 593
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ TREET १६६ } तिसायपणतो गाषा : २००१-२०८६ तह पुम्णमा - सोबा. हरिसह - भामा इमान कूडानं । विचारोदय - पहरी, विरुष्पह - कूप - सारिया ।।२०८६।। प्रर्ग :-माल्यवान् पर्वतके ऊपर नौ कूट स्थित है। सिट, माल्यवान्, उत्तरकुरु, कन्य, सागर, रजत, पूर्णभद्र, सीता और हरिसह, ये इन कूटोंके माम है। इनका विस्तार एवं पाई आदिक विछ त्यस पर्वतके कूटोंके सरम की समाहिए:१२७- TREE एक्को गरि विसेसो, सागर-कूडेसु भोगदि गामा । रिणवसेवि रजब - गे, गामेवं भोगमामिणो यो ॥२०६७।। पचं :-विशेषता केवल यह है कि सागर कूटपर भोगवती एवं रजतकर पर मोगमामिनी नामक देवी निवास करती है ।।२०६५।। मंबर-गिरिको गछिय, जोयनमय' गिरिम्मिएपस्सि । सोहेदि 'गुहा पक्य - विस्तार - सरिच्छ - बोहवा ।।२०६६॥ w:-मन्दर पर्वतसे माधा मोजन आगे जाकर इस पर्वतके पर पर्वतीय विस्तारके सहम लम्बी गुफा कही जाती है ।।२०।। तीए बो - पासेतु, वारा णिय-जोग-वय-बिमारा । फरिर-पर-यम-किरणा, प्रसिद्विमा ते लिहवामा ॥२०॥ म:-उसके दोनों पावभागोंमें पपके योग्य लक्ष्य एवं विस्तार सहित तमा प्रकापामान उत्तम रलकिरणोंसे संयुक्त वे अकृत्रिम एवं अनुपम द्वार ॥२००६।। [ चित्र प्रगले पृष्ठ पर देखिये ]
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy