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गापा : BRANA८५ Feat सु विधा .in [ ५६५
मंदर-गिरियो गछिय, बोयराम गिरिमि मिनरहे ।
बेरि गुहा' राम्मा, पन्नर - बासो प्रायामा ॥२०८०॥
w:-मन्दर पर्वतसे माषा योजन माकर विष प्रभपर्वतमें पर्वतके विस्तार महश एक लम्बो रमणीय गुफा है ॥२०६०।।
तौए वो - पासंसू, दारा गिय-जोग्ग-जय-विस्पारा' । होति अकिट्टिम - स्वा, भानावर-रयण - रमणिला ।।२०८१।।
:-इसके दोनों पाश्र्वभागोंमें अपने योग्य ऊँचाई एवं विस्तार सहित तमा अनेक उत्तम रनोंसे रमणीय अकृत्रिमरुप द्वार हैं ।।२०८१।।
गन्धमादन पर्वतके क्रूटो प्रादिका वर्णन - कूागि गंधपारण - गिरिस्स उरिस्मि सच चेटुति । सिदाल - गंधमारण - वेबकुरू - गंपवास - लोहिया ।।२०५२॥ फलिहारा' ताण, सत्ताचि इमानि होति मामागि।
एवार्य अवयावी, सोमनात • नगं व गावया ॥२०१३॥
वर्ग :-गन्धमादनपर्वतके ऊपर सात कट स्थित है । सिद्ध, गन्धमायन, देवकुरु, गन्धव्यास ( गन्धमालिनी ? ) लोहित, स्फटिक पोर मानन्द वे उन सात कूटों के नाम हैं। इन फोको अंगाई मादिक सोमनस मर्मतके सहन हो जाननी चाहिए ॥२०८२-२०५३।।
गरि विससो एसो, लोहिद • टूरे परि भोगवयो।
भोगकरा' य देवी, कूरे फसिहाभिधारसम्मि ।।२०५४।।
पर्ण:-विशेष यह है कि सोहित कटपर भोपवतो एवं स्फटिक नामक फूटपर भोगारादेवी निवास करतो है ॥२०६४।।
माल्यवान् पर्वतके कूटो आदिका वर्णनरणव कूग खेट्टते, उपरिमि गिरिम्स पालवंतस्म । सिल्क - मालमुरकुर कच्छा सागरं हि रजवासा ।।२०६५॥
१.... भ. प. म. स. इ. पुरणारा। २.प. ब. क. ब. प. अ... मागे । ३... क. प. य. उ. ठ, पनियाका राएं। ४...क.. य. . ३. भोककहि । ५, ६. ब. क. प, , उ. . मंतर । ... .... 8. सागरमि ।