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तिलोत
चारि सहस्साणि, बाहर्त्तार शुरु हु-सय-सोयमया ।
एकरस 'हिब कला, क्लिंभो बाहिरो तस्स ।।१६६३ ।।
बाद कला ४२७२
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तेरस सहस्स एक्करसहि हि
| ४२७२ 1 ६ 1
:- उसका बाह्य विस्तार चार हजार दोस्रो बहत्तर योजन भर प्यारहने भाजित योजन ) प्रमाण है ।। १६६३।।
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कुत्ता, पंच सया जोवनानि एक्करसं ।
सा सोमणसे परिरय पमानं ।। १२६४ ।।
| १३५११
:- सौमनस-वनकी परिधिका प्रमाण तेरह हजार पांचसौ ग्यारह योजन श्रीर
म्यारहसे भाजित छह अंश ( १३५११५५ योजन ) प्रमाण है ।। १६६४ ।
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date :- आचार्य श्री सुविधा भी यह
सोमरसं करिकेसर - समाल-हिताल-कल-अकुले हि ।
लवली - लवंग चंपय मनस प्रीहि संछन् ।। १६६५ ।।
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[ गाथा १९६३-१६६७
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सुक - कोशिल- महुर-र, मोरादि विहंगमेहि रमणि ।
शेयर सुरमिणेहि, संकिरणं विविह वावि कुवं ।। १६६६ ।।
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:- यह सौमनस बन नागकेसर, तमाल, हितास कदली, वकुल, लवली, सबङ्ग, चम्पक और कटहल आदि वृक्षोंसे व्याप्त है; तोतों एवं कोयलों के मधुर शब्दोंसे मुखरित है. मोर प्रादि पक्षियोंसे रमणीय है। विद्याधर युगलों एवं देवयुगलोंसे संकीर्ण है और अनेक वापियोंसे युक्त है ।1६६५ - १६६६ ॥
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तस्मि पणे पुरुषारिसु, मंदर व व पहले, सुवण म : - इस वन में मन्दर ( सुमेरु ) के पास पूर्वादिक दिशाओं में (क्रमश:) वण, व प्रभ, स्वर्ण और स्वर्णप्रभ नामक चार पुर हैं ।। १६६७ ।।
पाले पुराइ जसरि ।
नामं सुदपण - पहुं ॥ १९६७ ॥
१. बहर
२. य. एकदो इस्टर व उ उ एक्करहिया ३. क. जपा ४८.सं जमव सुध्वराणाम म. म. जे जप सुखमारणार्थ क.व.व जहसुम्दराम ब. उ. बजट
पहुचयं
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