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गाथा : १८०४ ]
पडत्यो महाहियारो
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सोयण-सहस्सालो, रणव-पषि-सहस्स-मेत बन्नेहो । बदपिहरण-संपतो नामावर • रयम - रमणियो ॥
१४॥ ।१... । ... । म: यह महापवंत एक हजार { १००० ) मोबन गहरा (नींव ), निम्बानये (8E...) हजार योजन ऊँचा, बहुत प्रकारके वन-बयोंसे युक्त और अनेक उत्तम रोंसे रमणीय है ॥१५.४॥