SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 498
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ त्यो महा हियारो हिमवान् पर्वतका उत्सेध, अवगाह एवं विस्तार समुच्छे हिमवं लुल्लो पनुबीस जोयम्बेहो' । विषमेण सहस्तं वावण्णा बारसेहि भागेहि ॥। १६४६ ॥ P । १०० । २५ । १०५२३ । :- शुद्र हिमवान् पर्वतकी ऊँचाई सौ योजन अबगाह पच्चीस पोजन और विस्तार एक हजार बावन योजन तथा एक योजनके उत्तोम भागों से बारह भाग अधिक है ।। १६४६ ।। हिमवान् पर्वतकी उत्तर- जीवाका प्रमाण गाया : १६४६-१६४९ ] तस्य उत्तरजीवा, बउवीस साहस्य- नव-सवाई पि बोर्स एक्क कला, समय समासेन पिडिडा ।।१६४७॥ आवड लु । २४१३२१ । ad' : उरा हिमवान् पर्वतकी उत्तरजोया सब मिलाकर पोबोस हजार मोसो बत्तीस योजन भर योजनके उन्नीस भागोंमेंसे एक भाग प्रमाण है ।।१६४७ ।। हिमवानके उत्तर में धनुष पृष्ठका प्रमाण ३.५. । - - - - [ ४७१ खुल्ल हिमवंत सेले, उत्तरभागस्मि होरि धभूपट्ट पीस सहस्ताई, सिया सीस बज-कलम्भहिया ॥ १६४८ ।। । २५२३०४ । वर्ष :- क्षुद्र हिमवान् पर्वतका धनुषपृष्ठ उत्तरभाग में पच्चीस हजार दोस्रो तीस योजन और एक योजनके उन्नीस-भागोंमेंसे चार भाग अधिक है ।। १६४८ । हिमवान् पर्वतकी चूलिकाका प्रमाण तरस य लिम-मार्ग, पंच सहस्साथि जोयणानिपि । ती साहिय-सिया, सत्त • कला प्रद अविरिता ||१६४६ ॥ | ५२३०१८ | 4 अर्थ :- उस पर्वतकी चूलिकाका प्रमाण पाँच हजार दोसी तीस योजन और एक योजन के उन्नीस भागों में से साढ़े सात भाग अधिक है ।। १६४६|| १. द. ब. क. . . जोयोवेो य नामयो । २. . . . . . . भागो म
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy