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________________ ४२२ ] तिलोयपणत्तो [ गाथा : १४५६-१४५७ छायपी htt] .१ - - II.LILLECIALILLELLI.............. 100४४४४ प्र:-कमान: दो रुन, छह प्रन्य, सास रुद, दो शून्य, वन, पन्द्रह अन्य और मन्तिम कोटमें एक रुद्र है । (इसप्रकार छद्रोंकी संधि है संदृष्टिमें अंक १ तोपकर, अंक २ चक्रवर्तीका, अंक 1 नारायण का अंक ४ ह का और शून्य मंतरालका सूचक है।) १४५५) मोट :-वर्तमान चोयीसीके तीर्घकालीन प्रसिद्ध पुरुषों [ गा० १२६५ से १२.२, १४२९ मौर १४५५ को मूल संदृष्टियों ] का विवरण इस तालिका ३६ में निहित है { तालिका ३९ पृष्ठ ४२४-४२५ पर देखिये ) रुद्रोंके शरीरका उत्सेघपंच-सया पानाहिय-बउस्सया इणि • मयं च परदी य । सीवी सत्तरि सट्ठो, पणासा अनुषीस पि ॥१४५६।। पडवीस - च्चिय रंग, भौमावलि-पहुवि-का-पसकस्स 1 उन्हो मिहिहो, सग हत्या सन्चाइमस ॥१४५७॥ ५०.१४५० । १..10 1 2 | ७०। ६० । ३० । २८ । २४ । ३७।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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