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पापा : १४३.]
पउत्थो महाहियारो
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म:-क्रमशः दस शून्य, पांच नारायण, छह शून्य, नारायण, शून्य, नारायण, तीन शून्य, एक नारायण, दो शून्य, एक नारायण और यन्तमें तीन शून्य हैं । (इस प्रकार नौ नारायणोंको संदृष्टिका क्रम जानना चाहिए । संरष्टि में बैंक ! तीर्थकर का, अंक २ चक्रवर्तीका, अंक ३ नारायण का और शून्य अन्तरालका सूचक है ) ॥१४२९।।
नारायणादि तीनोंके शरीरका उत्सेधसौदी ससरि सही, पण्णा पवाल ऊपतीसाणि । पापीस - सोल - रस-वणु, केस्सीतिरयम्मि' उच्छेहो ।।१४३०॥
८० । ७० । ६० ॥ ५० ॥ १५ ॥ २६ । २२ । १६ । ।
। इदि उस्सेहो । प्रचं :--केशवत्रितय-नारायण, प्रतिनारायण एवं बलदेवोंके शरीरकी ऊंचाई क्रमशः अस्सी, ससर, साठ, पचास, पैतालीस. उनतीस, बाईस, सोलह और इस धनुष प्रमाण पो ॥१४ ॥ । इसप्रकार उस्सेघका कबन समाप्त हुआ।
- - ...----- १. द... क. . . . सिताम