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________________ पापा : १४३.] पउत्थो महाहियारो [ ४१३ म:-क्रमशः दस शून्य, पांच नारायण, छह शून्य, नारायण, शून्य, नारायण, तीन शून्य, एक नारायण, दो शून्य, एक नारायण और यन्तमें तीन शून्य हैं । (इस प्रकार नौ नारायणोंको संदृष्टिका क्रम जानना चाहिए । संरष्टि में बैंक ! तीर्थकर का, अंक २ चक्रवर्तीका, अंक ३ नारायण का और शून्य अन्तरालका सूचक है ) ॥१४२९।। नारायणादि तीनोंके शरीरका उत्सेधसौदी ससरि सही, पण्णा पवाल ऊपतीसाणि । पापीस - सोल - रस-वणु, केस्सीतिरयम्मि' उच्छेहो ।।१४३०॥ ८० । ७० । ६० ॥ ५० ॥ १५ ॥ २६ । २२ । १६ । । । इदि उस्सेहो । प्रचं :--केशवत्रितय-नारायण, प्रतिनारायण एवं बलदेवोंके शरीरकी ऊंचाई क्रमशः अस्सी, ससर, साठ, पचास, पैतालीस. उनतीस, बाईस, सोलह और इस धनुष प्रमाण पो ॥१४ ॥ । इसप्रकार उस्सेघका कबन समाप्त हुआ। - - ...----- १. द... क. . . . सिताम
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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