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________________ गामा : ५६-६१ ] महाहियारो [ १७ लेने के बाद अवशिष्ट ( स ) रावि अनन्तानन्त परमाणुओं के स्थानीय मानी गई है । यदि मूल राशि अनन्तानन्त परमाणु स्वरूप न मानी जाय तो अवसिष्ट अंग को अनन्तानन्त स्वरूप नहीं कहा जा सकता। इसीलिए गाया में " एवस्संसस एवं गुणगारा कहा गया है। णतणत En अंक-कर्म जम्बूद्वीप के क्षेत्रफलका प्रमाण जोयणया, - नवम-सत्तो व । irture लेतफलं ।।४५६।। | ७६० *६६४१५० । अर्थ : – शून्य, पांच, एक, चार, नौ, छह, पांच शून्य, नौ और सात अंकोंको क्रमसे रखनेपर जितनी संख्या हो उतने योजन प्रमाण जम्बुद्वीपका क्षेत्रफल मिलता है ।। ५६ ।। विशेवा :- "विक्थंभ उभागप्पा सा होदि सफल" गा० परिषिको व्यासके चतुर्थांशसे गुणा करने पर वृत्तक्षेत्रका क्षेत्रफल निकम आता है । १. ब. स्पेस क्र. इल्मे । उ ए अधिकार ४ । अर्थात् -731742 जम्बूद्वीपका व्यरस १ लाख योजन और परिधि ३१६२२७योजन प्रमाण है ! अतः गाया के अनुसार ३१६२२७३३०००=७६०५६७५००० १०० योजन अर्थात् ७९०५६६४१४०योजन जम्बूद्वीपका क्षेत्रफल हुआ । इस गाथामें केवल ७६०५६९४१५० योजन दर्शाये गये हैं शेष योजनों के कोस एवं धनुष आदि आगे दर्शाये जा रहे हैं। एक्को कोसो दंडा, सहस्समेकं वेदि पंच-सया । लेबन्नाए सहिया, कि-हस्थेस' सुन्नाहं ॥१६० ।। को १ । ६० १५५३ | ० ॥ ० ॥ एमका होगि बित्यो, सुनं पावन अंतु एक्कं । जब एक-तिय जूवा, लिमखाओ तिमि भावव्या ॥ ६१ ॥ १।० । ११६ । ३ । ३१ २. . . क. ज. उ. य. मोदमि 1
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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