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१६]
३१६२२७ योजन |
Hd parde
०
1। ५७ ।।
तिलोत
४८४४७१ (४ कोम ) ६३२४५४
-३ कोस ।
१८९६३६४ (८ स० }. ६३२४५४
'४० ५२२ ४ (२०० ४० ) _ ६३२४५४
-२ सनासन्न और
३ अबसनासन्न प्राप्त हुए। अर्थात् जम्बूद्वीपकी परिधि २१६२२७ योजन, ३ कोस, १२८ धनुष, किष्कु ० हाथ, १ वितस्ति, ० पाद, १ अंगुल, ५ जो ११ लीख ६ कर्मभूमि के बाल, ० ज० प्रो० के बाल ७म० मोठं के बाल, ५ जलम भो० के बाल, १ रपरेणु. ३ त्रसरेणु, त्रुटरेणु, २ सनासन, ३ व्यवसनासन्न और तेच प्रमाण है। यह शेष अंश अनन्तानन्त परमाणुओंोंके
स्थानीय है।
[ गाथा ५७-५८
१२८ धनुष
२५४५६० x ( ८४ भव० ) _ ६३२४५४
तेवीस सहस्साणि, 'केन्नि समानि च तेरसं सा । हारो एक्कं सक्तं, पंच सहमति च सवाणि नवं ।। ५७॥ "आता श्री शुद्धी
नोट :- संदृष्टिका व अनन्तानन्तका सूचक है ।
उपर्युक्त अंशका गुणकार -
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13513 १०५४०५ ख
अर्थ:-तेईस हजार दोसौ तेरह अंश और एक लाख पाँच हजार चारसो नी हार
एवस्संसस्स पुढं गुणगारी होहि तस्स परिमाणं । अनंतानंत परिभास - कमेण उपपन्नं ॥ ५८ ॥
जान
अर्थ :-- इस अंशका पृथक गुणकार होता है । उसका परिमारण परिभाषा क्रमले उत्पन्न अनन्तानन्त ( संख्या प्रमाण ) जानो ।। ५८ ॥
विशेषार्थ :- जम्बुद्वीपको सूक्ष्मपरिधिका प्रमाण योजन. कोस, घनुष आदिमें निकास लेनेके बाद ( गाया ५७ के अनुसार ) ३३३३२ अंश अवशेष बचते हैं। इनका गुणकार अनन्तानन्त है । अर्थात् इस अवशिष्ट अंशमें अनन्तानन्त परमाणुओं का गुणा करके पश्चात् परिभाषा क्रमके अनुसार योजन, कोस, धनुष, रिक्कू एवं हाथ भादि से लेकर भवसन्नासन पर्यन्त प्रमाण निकाल