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________________ गाषा : १२९८-१३०२ ] चढत्यो महाहियारो [ ३५ कुन्पुनाप और मरनाथ, ये तीनों चक्रवती तीर्थकर भी थे। सुभौम चक्रवर्ती अरनाप बोर मल्लिनाथ भगवानके अन्तरालमें, पप पक्रवर्ती मल्लि और मुनिसुव्रतके अन्तरालमें, हरिलेस नामक पकवर मुनिसुव्रत और नमिनायके मध्यकालमें, जयसेन प्रक्रर्ती नमिनाम और नेमिनाथ जिनके अन्तरालमें तथा बादत नामक पक्रवर्ती नेमिनाथ पोर पार्श्वनाथ तीर्थकरके अन्तरालमें हुए हैं ॥१२९४-१२६७।। तीर्थकर एवं चक्रवत्तियों के प्रत्यक्ष एवं परोक्षताको प्रदर्शित करनेवालो संदृष्टिका स्वरूप खोसीसाण कोट्टा, कारख्या सिरिय - व - एतौए । उखेल के कोट्टा, कापूर्ण पदम • कोई सु॥१२९८॥ पच्यरसेसु मिनिया, निरंतरं बोस सुनया तसो । सिपिन जिला हो सूचना गि जिण यो मुण्ण एकक जिणों ।।१२६६।। वो सुम्मा एक्क जियो, पगि सुष्णो इगि जिनो य इगि सुन्यो । बोणि विमा 'दि कोडा, बिहिवा तित्व - कत्तान" ॥१३००।। हो को चक्की, सुनं तेरसस पिकणो छक्के । सुग्न तिय चक्कि सुम्प, दक्को वो सुन पक्कि 'सुनो ॥१३०१।। चमको दो सुन्ना, छपर-बईण चकवट्टी। एवे कोडा कमसो, संविट्ठी एक - दो अंका ||१३०२॥ 27HAS-RE ....... अ.व. १. सुमा। २...ब. क. 4, य. २. मिसा। बब.क.ज.प., सुम्यो । ४. ब.क. ..rn। ५. य. कसोएं। ६. द.प.क.प.व . मुरा। ७... स्रो मासन-कोष्ठेमु समेघ २ माने । इति पाठ:1
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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