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गाषा : ११०२] पउत्थो महाहियारो
[ ३२५ मशीण-महालय-ऋद्धिमार्गदर्शक :-- आचाए उ PTREATMANEम गर-तिरिया ।
मंति असंखेकजा सा, प्रक्लीक-महालया रिती ॥११०२।।
। एवं तेष-रिवी समता ।
॥ एवं प्रष्टु-रिद्धी समता ॥ म। -जिस ऋद्धिक प्रभावसे समचतुष्कोण पार घनुष-प्रमाण क्षेत्रमें मसंस्पात मनुष्यतिर्यक स्थान प्राप्त कर लेते हैं, वह अक्षीणमहालय-ऋद्धि है ।।११०२।।
। इसप्रकार क्षेत्रऋक्षिका कथम समाप्त हुआ।
। इसप्रकार पाठों ऋखियोंका वर्णन समाप्त हवा । आठों ऋद्धियोंके भेद-प्रभेदोंको तालिका इसप्रकार है
[ तालिका २७ पृष्ठ १२६ व ३२७ पर देखिये ]