________________
__२७० ]
तिलोयपष्मासी
[ गाया : ८८४-८८७
दूसरे पीठका वर्णन
पढमोदरिम्मि विरिया, पोवा घेटुति ताण उच्छेहो। चज-चंडा आदि-जिने, छामागेज' भाव मिजिणं ॥१४॥
२०१२ | २० | २ | २० | १६ | १८ | १ | १५ | १५ | १ | १ | १२ | १६ | १ |
६
६
।
६
म:-प्रथम पोठोंके ऊपर दूसरे पौठ होते हैं। ऋषभदेवके समवसरण में उनके (दूसरे) पीठको ऊंचाई पार धनुष भी। फिर इसके मागे उत्तरोत्तर क्रमसः नेमिजिनेन्द्र पर्यन्त एक वटा छएक वटा छह (1) भाग कम होता गया है ॥४॥
पास-वि पन-बंग, पारस-भगिया य वीर-णाहम्मि । एस्को स्थिय तिय-भजिदा गाजावर-रवन-"णिसय-सा IE५
n:-पाकनाथ सीपंकरके समवसरए में दूसरी पीठफी ऊंचाई बारइसे भाजित पांच वनुष और दोरनाथके तीन से भाजित एक धनुष मात्र की। ये दूसरी पीठिकाएँ नाना प्रकार उत्तम रस्नोंसे रचित भूमि-युक्त है ।1८८५॥
दूसरी पीठोंको मेखलाओंका विस्तार
जापाणि छत्सहस्सा, भट्ट - हिदा ताण मेहला - का। उसह-जिने पन्ना-हिय-को-सय-कणा यमि -परियंतं ।।१८६||
पनीसाहिय-यस्सय, अटू - विहतं च पास - सामिस्स । एक्का-सर्य पमबीसम्भाहिये औरम्मि बोहि पहिवं ॥१८॥
.
--
-
-
-
--
१. भागो बाप। २. ब. क. स. प. . विमाना। ३. द. हियो।