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38 जविवसह - आइरिम-विरहवा
तिलोयपण्णत्ती
चउत्थो महाहियारो
मङ्गलाचरण एवं प्रतिज्ञा
एवं बरि मास-लोय-सरू बन्यामि-
लोयालोय-पयासं, पउमप्यह-जिनवरं धर्मसत्ता' ।
माणूस जग-पाति, बोच्छामो आणुपुब्बीए ॥ १ ॥
इससे जग मनुष्यमीकक वह
अर्थ :- लोकालोकको प्रकाशित करनेवाले पचप्रभ जिनेन्द्रको नमस्कार कर अनुक्रममे मनुष्यलोक - प्रज्ञप्ति कहता हूँ ।। १ ।।
सोलह अधिकारोंके नाम
"का न करता
गिद्द सस्स सल्बं अंजूदीवोसि लवणजलही य थाइजो शेख, कालोव समुद्र- पोक्खरद्धा ॥ २ ॥ तेसु-द्विद-मणुवाणं, मेवा संखाय घोब बहुमतं । "गुणठान प्यहूदीनं, संकमणं विविह-मेय- जुवं ॥ ३ ॥ आऊ-बंधन-भावं, जोणि-पमानं सुहं भ वुक्तं च । सम्मा-गहन- हे निम्बुदि-गमचान परिमानं ॥ ४ ॥ एवं सोलस संखे, अहिवारे एएच बलहस्तायो । जिण-मुह-कमल-विनिग्गव-भर-जग-यन्नति-मामाए ।।५।।
१.व. मा . क. एमस्ति । २.६. ए ३. ब. एस्साम क पत्त स्म ।