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उत्म महाहिगारो
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अर्थ:- पार्श्वनाथ तीर्थ करके समवसरण में प्रथम पृथिवीका विस्तार दो सौ भठासोसे वर्ग (१४४) ले भाजित बाईस कोस
वाया : ७६४-७६७ ]
पिचर एजेंस
प्रभाग या ।।७६३॥
| स्व-प्रासाद-भूमिका कथन समाप्त हुआ।
नाटयशालाओंका निरूपण
आविम-लिबसु पुह-पुह, वोहोणं बोलु वो पासेसु ।
वोहो भट्टय-साला, बर-कंचण-रयण-निम्मिविया ॥ ७६४॥
। २ । २ ।
प :- प्रथम पृथिषियों में पृथक्-पृथक् दोषियों के दोनों पार्श्वभागों में उत्तम स्वर्ण एवं रत्नोंसे निर्मित दो-दो नाट्यशालायें होती हैं ।।७६४ ।।
जय- सालाण पुढं, उस्सेहो मिय- जिनिव उरएहि ।
बारस हवेह सरितो, पट्टा वीहत-वास उवएसा १२७६५ ।।
दंश ६००० | ५४०० | ४५०० | ४२०० | ३६०० । ३००० | २४०० | १८०० | १२०० । १०६०। ६६० । ८४० १७२० । ६०० | ५४० | ४८० | ४२० । ३६० । ३०० | २४० १८० मि १२० । पास २७ । र २१ ।
वर्ष :- नाटयशालाओंकी ऊंचाई बारसे गुणित अपने-अपने तोर्थंकरोंने शरीरको ऊँचाईके सहरा होती है तथा इनकी लम्बाई एवं विस्तारका उपदेश नए हो गया है ।।७६५॥
एक्केक्काए गट्टय सालाए चत्र हट्ट रंगाणि । 'एक्केन कस्सि रंगे, भावण - कण्णाउ बहीसा ॥७६६||
गायति जिणिबाणं, विजयं विविहत्य-विश्व-गीहि । अभिप्णइय अध्वनीनो, लिवंति कुसुमंजलि ताओो ।।७६७
१. . . एक्स व रु. य उ एक्केन ।