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________________ उत्म महाहिगारो [ २२१ अर्थ:- पार्श्वनाथ तीर्थ करके समवसरण में प्रथम पृथिवीका विस्तार दो सौ भठासोसे वर्ग (१४४) ले भाजित बाईस कोस वाया : ७६४-७६७ ] पिचर एजेंस प्रभाग या ।।७६३॥ | स्व-प्रासाद-भूमिका कथन समाप्त हुआ। नाटयशालाओंका निरूपण आविम-लिबसु पुह-पुह, वोहोणं बोलु वो पासेसु । वोहो भट्टय-साला, बर-कंचण-रयण-निम्मिविया ॥ ७६४॥ । २ । २ । प :- प्रथम पृथिषियों में पृथक्-पृथक् दोषियों के दोनों पार्श्वभागों में उत्तम स्वर्ण एवं रत्नोंसे निर्मित दो-दो नाट्यशालायें होती हैं ।।७६४ ।। जय- सालाण पुढं, उस्सेहो मिय- जिनिव उरएहि । बारस हवेह सरितो, पट्टा वीहत-वास उवएसा १२७६५ ।। दंश ६००० | ५४०० | ४५०० | ४२०० | ३६०० । ३००० | २४०० | १८०० | १२०० । १०६०। ६६० । ८४० १७२० । ६०० | ५४० | ४८० | ४२० । ३६० । ३०० | २४० १८० मि १२० । पास २७ । र २१ । वर्ष :- नाटयशालाओंकी ऊंचाई बारसे गुणित अपने-अपने तोर्थंकरोंने शरीरको ऊँचाईके सहरा होती है तथा इनकी लम्बाई एवं विस्तारका उपदेश नए हो गया है ।।७६५॥ एक्केक्काए गट्टय सालाए चत्र हट्ट रंगाणि । 'एक्केन कस्सि रंगे, भावण - कण्णाउ बहीसा ॥७६६|| गायति जिणिबाणं, विजयं विविहत्य-विश्व-गीहि । अभिप्णइय अध्वनीनो, लिवंति कुसुमंजलि ताओो ।।७६७ १. . . एक्स व रु. य उ एक्केन ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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