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गापा : ७५९-७६० ]
बउत्थो महाहियारो
[ २१६
मुलिमाटर
Hamam
धूलिसालकोट एवं उसका सोरणवार
चैत्यप्रासाद भूमियोंका निरूपणसालम्भतरभागे, चत्तप्पासार-नाम-भूमोओ । 'वेति सपल-खेत', विभपुर-पासार-सहिदानो' ॥५६॥
प्रबं:-उन धूलिसालोंके अभ्यन्तर मागमें जिनपुरसम्बन्धी प्रासादोसे युक्त पैरय-प्रासाद नामक भूमियां सकलक्षेत्रको वैश्रित करती है ।।७५६ ।।
एस्केप जिण-भवचं, पासारा पंच पंच मंतरिवा ।
विषिह-वग-संर-मंटन-परवावी-ब-रमिम्जा ॥६॥
मय:-एक-एक जिनभवनके अन्तरालसे पांच-पांच प्रासाद है, जो विविध वन-समूहोंसे मण्डित मोर उत्तम वापिकावों एवं कुपोंसे रमणीय होते हैं ।।७६०॥
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....... प. प. बेति। २. ब. । ३. प. प. प. म. .. मरिणामो, क. सरितायो।
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