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________________ गाथा : ६७१-६७५ ] महाहियारो आसाद बहुल बसमी अबरव्हे अस्सिनीस 'बेल-बणे । दर्शक: उि गोमणाहो पचज, पडिबाद सदिय-लवर्णाहि ॥ १७१ ॥ अर्थ : नमिनाथने आषाढ़ कृष्णा दसमीके अपराह्न पश्विनी नक्षत्र के रहते चैत्र-वन में तृतीय उपवासके साथ दीक्षा स्वीकार की ।1६७१ ।। सासु-सुद्ध खट्टी- अरण्हे साबणम्भि प्रेमि-जियो । तवय-वहिषि, सहकार वज्रम्सि तब वरनं ।। ६७२ ॥ अर्थ :- नेमिनाथनं श्रावरण शुक्ला पट्टीके अपराह्नमें चित्रा नक्षत्रके रहते सहकार बनमें तृतीय उपवासके साथ तप ग्रहण किया ।। ६७२ ॥ काढणे । माघस्सिव एक्कासि - मुम्बव्हवे विसाहास | पणज्जं पासजियो, मस्सत-वर्णम्म हु भन ।। ६७३ ।। अर्थ :- पार्श्वनाथने माघ शुक्ला एकादशोके पूर्वा विताचा नक्षत्रके रहते षष्ठ भक्तके साथ अपवस्य वनमें दोक्षा ग्रहण की ।।६७३। [ १८१ मग्गसिर- बहुल- दसमी- अवरव्हे उत्तरासु 'नाप-वर्ग तबियतमम्मि गहिरं, महस्वदं बदमाषेण ।।६७४। अर्थ :- वर्धमान भगवान्ने मगसिर कृष्णा वसम्टीके अपराह्न में उतरा फाल्गुनो नक्षत्रके रहते नाथवनमें तृतीय उपवास के साथ महाव्रत प्रण किये ||६७४ || सह- शैक्षित राजकुमारोंकी संख्या 3 'पम्य जिदो महिल-जिनो, रायकुमारेहि ति-सय-मेतहि । पास-जिम बि तह किम एक्कोक्त्रिम पमाण-जिणो ॥१६७५॥ मल्लि ३००१ पास ३०० । वीर ० । [ तालिका नं० १४ पृष्ठ १६०-१६१ पर देखें ] १. व. ब. क. ज. प. उतणे । ३. व. न.क्र. उ. पञ्चदि । २. य. ज. लाभरणे, बाप हायवणे, प ४. क. ज. अ. जिने ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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