SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७२ } निलोयपण्णी [ गाथा : ६०३ - ६०६ प्र : सुपार्श्वनाथ स्वामीका राज्यकाल बीस पूर्वाङ्ग सहित चोवह लाख पूर्व प्रमाण जानना चाहिये ।।६०२ ॥ पणास - सहस्सा हिय छल्लवखपमाण बरिसपुच्चामि । पुवंगा चवीसा हरि । पुत्र ६५०००० | पूर्वाण २४ । म : चन्द्रप्रभ जिनेन्द्रके राज्यकालका प्रमाण ग्रह नाख पचास हजार वर्ग पूर्व और बस पूर्वाङ्ग है ।।६०३ अस-पुण्य गम्भहियं सुविहिस्स पुस्य लक्खद्ध ं । सीमल- बेबस्स तहा, केवलयं पुष्य-समसद्ध ||६०४॥ 1 पृथ्व ५०००० अंग २८ । पुरुष ५०००० । अर्थ:-सुविधिनाथ (पुष्पदन्त ) स्वामीका राज्यकाल बट्ठाईस पूर्वाङ्ग अधिक अधं लाल पूर्व और शीतलनाथका राज्यकाल मात्र अर्धलाख एवं प्रमाण या ।। ६०४ || 3... सेयंस- जिणेसल्स य, 'वाल- संखाणि वास - सनखानि । पढमं चि परिहारिया, रज्जसरी । वस्तारि ४२ ल । अर्थ :- भगवान् श्रेयांसनाथका राज्यकाल व्यालीस लाख वर्ष प्रमाण था । वासुपूज्य जिनेने पहिले हो राज्यलक्ष्मी छोड़ दो षी ॥ ६०५ ।। विमलस्स तीस - सक्ला, अनंतमाहल्स-पंच-बस - सक्ला । बासानं लक्खा पणष्पमाला, वासुपुन्जेण ।।६०५।। १. . . रु. उ. दुमान पहुचा । | वासारिए ३० ल 1 अस्स १५ । बस्स ५ ल । धम्म - सामिस्स ||६०६॥
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy