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________________ १७० ] तिमोग्रपणती [ गाथा : ५६५-५८८ ऋषभादि तीर्थङ्करोंका शरीर-वर्ग'परपह-पुष्फवंता', कुदबु-तुसार-हार-संकासा । पीला-सुपास-पासा, सुख्खय-पोमो समोर-घन-बाना ॥५५॥ विद्युम-समाज-रेहा, पजमप्पह-वासुपूज्म-विषगाहा'। सेसाण जिमबरागं, काया चामोपरापारा ॥५६॥ सरीर-वष्णं गदं ।। म:-भगवान् चन्म और पुष्पदन्त कुन्दपुष्प, पन्द्रमा, बर्फ तमा ( मुक्ता ) हार सदृश धवस वर्णके पे । सुपाश्र्वनाथ और पानाथ नीलवर्गके थे। मुनिसुक्तनाथ और नेमिनाथ जलयुक्त बादल ( मेध ) के वर्ष सदृश मात् श्याम वर्णके तथा पपप्रम एवं वासुपूज्य जिनेन्द्रके शरीर प्राप्त सदा रक्तवर्ण के थे । मेष ( सोसह) सीकरोंके गुडौल रूपं सदा अपरिज पूर्ण के रे IKEKATERII ।। शरीरके वर्णका कपन समाप्त हुआ। ऋषभादि तोयंकरोंका राज्यकालसेसट्रि-गुम्ब-लक्खा, पढम-जिणे रज-काल-परिमागं । तेवा-पुष्प-लक्या, अनिवे पुग्मंग-संजुत्ता ॥१६॥ । पुष्व ६३ ल । अषि ५३ ल पुञ्वंग ।।। म :-प्रावि जिनेन्द्र के राज्यकालका प्रमाण तिरेसठ लाल पूर्व और अजित जिनेन्द्रके राज्यकासका प्रमाण एक पूर्वाग सहित तिरेपन लाख पूर्व था ॥५६॥ चदाल-पमाणाई, संभव-सामिस्स पुष्व-सपलाई। पर-पुल्वंग-जवाई, लिहि सव्व-परिसीहि ॥५६॥ । पुल ४ स । पूर्वाग ४। ३. द..... - य. १.प.क. प. प. पदम। २. द...क. र. म. ३. पुष्फवंतो। ३. बिलसाहो। ४. ६... प. उ. वणसं ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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