SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाया : ५१-५८४ ] पउत्यो महाहियारो बीस-सहस्सम्भहिया, छल्लख-पमान-बासबोच्थेवे । मुम्वय-उप्पचीवो, उत्पत्ती पमि-जिणिवस्स १५८१॥ Kera : . he RTR T AFTER वा६२०००० । प्रचं:-मुनिसुव्रतनाथको उत्पत्तिके पश्चात् बीस हजार अधिक छह लास वर्ष प्रमाण कान व्यतीत हो जाने पर नमि जिनेन्द्रका जन्म हुषा ।।५८१।। पग-सबलेसु गवे, गवय-सहस्साहिएसु वासाणं । गमिणाहुप्पत्तोदो, उम्पती मि-शाहस्स ।।५८२॥ । वा ५०९०००। प्र :-नमिनाथकी उत्पत्तिके पश्चात् नौ हजार अधिक पाच लाख वर्ष व्यतीत हो जाने पर नेमिनाथको उत्पत्ति हुई ।।५८२।। पणासाहिय-छस्लम-अलसीरि-सहस्स-कस्म-परिवार । मि-जिगुप्पतीदो, उम्पती पास-रहस्स ॥५८३॥ । वा १६५०। प्रपं:-नेमिनाथ नीदुरको उत्पत्तिके पश्चात् चौरासी हजार छह सौ पचास वर्षोंकि व्यतीत हो जाने पर पादनाषको उत्पत्ति हुई ॥१८३॥ अद्यार-अहिगाए, बे-सब-परिमाण-वास-अरिरित्ते। पास- निप्पत्तीवो, उप्पत्ती बनमानस्स |॥५४॥ । मा २५८ । :--भगवान् पार्थनाषको उत्पत्तिके पश्चान् दो सौ पठत्तर वर्ष व्यतीत हो जाने पर वर्षमान तीर्थकरका जम्म हुमा ॥५८४।। 1. ब. ब. क, ब, न.परितो।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy