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________________ १६४ ] तिलोयपण्णत्ती पल्स पोलीने, पण बास- सहल्समान' अविरि । जननादो संति-नाह फुपु -जि-संगणं, गाय ५७७-५८० 1 गधा व ५००० ॥ अर्थ :- शान्तिनाथके जन्म के पश्चात् पाँच हजार वर्ष अधिक श्राषे पत्वके बीतनेप कुन्बुनाथ जिनेन्द्र उत्पन्न हुए ।। ५७७।। ॥ ५७७। एक करस- सहस्सू जिय-कोटि-सह-पल्ल- पादम् । बिसि अर-जिनियो, कुंबुत्पत्तीए उत्प५७६॥ आले की शुदिनी ज परिरण नस्स को १००० रिया वस्स ११००० | शा अयं कुन्थुनाथको उत्पतिके पश्चात् ग्यारह हजार कम एक हजार करोड़ बर्षसे रहित पाय पस्यके व्यतीत हो जाने पर जर जिनेन्द्र उत्पन्न हुए ।। ५७८ ।। उपतोस - सहस्साहिय-कोटि-सहस्सम्म वसतीबम्भि । अरबिण उप्पलोयो, उप्पली महिल- माहस्स ११५७६ ॥ । वस्स को १००० धरण व २६००० | अथ :- अर जिनेन्द्रकी उत्पत्तिके बाद उनतीस हजार अधिक एक हजार करोड़ वर्षोंके बीत जाने पर मल्लिनाथका जन्म हुआ ।।५७६ ।। पनुषीस - सहस्सा हि-द-ह-इल्सक्स-वासरे। महिल-जिणनूबीदो, जम्मूदी सुध्वय- जिणस्स ॥ ५८० ॥ | या ५४२५००० | !—— - मल्लि जिनेन्द्रको उत्पत्तिके पष्चात् पच्चीस हजार अधिक मो से पुति - अर्थ ( जीवन ) लाख वर्षोंके बीत जाने पर मुनिसुखत जिनेन्द्रकी उत्पत्ति हुई ।। ५८० ॥ १.ब.क. उ. मास परितो ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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