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________________ els :.. A m ATHE "ry अपवा, दूसरे प्रकार से क्षेत्रफल - (१०) V५६६१८१२७८८००१६४ वर्ग योजन प्राप्त होता है, जिसमें कोई टि संभव है, क्योंकि उपयुक्त को हल करने पर २९६९३Yet.३ वर्ग योजन प्राप्त हुमा है विस में कुछ पटि हो सकती है, क्योंकि गायानुसार यह मान २६६३४६ पास होना पाहिये । इसे पाठकगण हस कर संशोधित फल निकालने का प्रयास करेंगे, ऐसी माना है । उपयुक गणना में श्री जम्बूकुमारजी दोगो, उदयपुर ने सहयोग दिया है जिनके इम भाभारी है। उपयुक क्षेत्रफलों के गणना फलों से गाषाओं में दिये गये मानों के सम्बनम में मिसान विषयक संवाद प्रो. डॉ० पारसी. गुमा, यूनेस्को के भारतीय गणित इतिहास के प्रतिनिधि, मेसरा (रांची) से भी किया गया । उनके पत्रानुसार जो .. जनवरी १६५ को प्राप्त हुपा पा. उन्हें कोई प्राचीन विधि प्राप्त हुई है जिससे में हिमवान् का क्षेत्रफल २५१.०४५ बर्गयोजन निकालने में समर्थ हो सके है । वे इस समस्या को सुलझाने का भी भी प्रयास कर रहे हैं। स्मरण रहे कि इन क्षेत्रफलों में लेने पर भी क्षेत्रफल सम्बन्धी उक्त गाषामों में दिये गये मान प्राप्त नहीं होते हैं। उपर्युक गरगनाओं से तिनोयपणती माग .. !xs की गापाऐं चतुर्व मधिकार, मुख्यतः १६२४, १६२१. १६६८, १६९६, १७१८, ११२, १३, १४, १७५१, . १७५२, २३७६, १४५, १७७३ सपा २३७७ एवं कन्नड प्रति से प्राप्त कुछ गापाएं है।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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