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________________ १४८ ] तिलोयपणती [ गापा : ५१६-५१९ कुल-धारमा सम्बे, कुलपर-गामेन मुषण-विषमाया । कुल-करणम्मि य फुसला, कुलकर-गामेन-शुपसिवा ॥१६॥ अर्थ :- सग कुलोके धारण करनेसे 'कुलघर' नामसे और कुलोंके करनेमें कुशत होनेसे 'कुलकर' नामसे भी लोकमै प्रसिद्ध है ॥५१६॥ शरसाका पुरुषोंको संख्या एवं उनके नामएत्तो ससाय 'पुरिसा, तेसही सयास-'भुवण-दिनहाया । जाति भरह-खेते, गरसीहा पुण्ण-पाकेग ॥१७॥ पर्प :--अब ( नाभिराय कुलकरके पश्चात् ) भरतक्षेत्र में पुण्योदयसे मनुष्यों में श्रेष्ठ और ___ सम्पूर्ण लोकमें प्रसिद्ध तिरेसठ भलाका-पुरुष उत्पन्न होने लगते हैं ।।५१७१। तिस्पयर-घरक-बल-हरि-पडिसत्तू णाम विस्सुदा कमसो । दि-गिय - बारस - बारस - पयस्थ - गिहि-रंध-संशाए ॥५१॥ ।२४।१२।६॥ It 1 म:-ये शलाका पुरुष तोयंकर, पक्वती, बलभा, नारायण और प्रतिशत (प्रतिनारायण ) नामोंसे प्रसिद्ध है । इनकी संख्या कमशः बारहको दुगुनी (पोयीस), बारह, नो (पदार्थ), नो (निधि) और नौ ( स्प्र ) है ॥५१८।। विशेषा:-प्रत्येक उत्सर्पिणी-मवपिणी कासमें चौबीस तीर्थकर, बारह पक्रवर्ती, नौ बलमन, नो नारायण मौर नो प्रतिनारायण ये ६३ महापुरुष होते। भरतक्षेत्र के इस अवसरणी कालमें भी इतने ही हुए हैं, जिनके नाम मादि इस प्रकार है वर्तमान कालोन चौबीस तीर्थकरोंके नाम उसहमजियं च संभवहिगंदग-समह-शाम-धेयं च । पउपप्पहं सुपासं, परप्पाह-पुष्फर्वत-सोयत्तए ॥५१९॥ - . . .. --.--- -. -- १. . . क. प. उ. पुरिसो। २. ब. प्रबाग ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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