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गाया : ५११-५१५ ] पउत्यो महाहियारो
[ १४७ कुलकरोंका विशेष निरूपण
aff .... A TRE सुमिरी एवं उम्स मधुओ, परिसुव-पहुवी माहिरापंसा ।
पुरुष-मम्मि बिहे, रायकुमारा महाकुले 'जावा ॥११॥
प्र:-प्रतितिको आदि लेकर नाभिराग-पर्यन्त ये बौदह मनु पूर्व-भवमें विदेह क्षेत्रके अन्तर्गत महाकुलमें राजकुमार थे ॥५११॥
कुससा वामावोस, संजम-तक-बात-पसाग । जिय-जोग्ग'-अगुवाणा, मदब-अज्जव-गुणेहि संधुता ॥५१२॥ मिच्छर-भाषणाए, भोगाउं पंपिऊन' से सम्झे । पच्छा साहय-सम्मं, गेहंति जिभिर बलग-मूलन्हि ।।५१३॥
वर्ष :-संयम, तप और मानसे संयुक्त पात्रोंको दानादिक देनेमें कुष्पल, अपने योग्य अनुष्ठान युक्त तपा मार्दव-आगंवादि गुणों से सम्पन्न वे सब पूर्व में मिप्यास्व-भावनासे भोगभूमिको भायु बोष कर पश्चात् जिनेन्द्र भगवानके पादमूलमें शायिक सम्यक्त्व ग्रहण करते है ।।५१२-५१३।।
निप-जोग-सुवं 'पहिवरा, लोणे आम्हि ओहिनाण-'जुरा । उप्परिजन भोगे, केई गरा ओहि-भाग ५१४॥ मादि-भरण ई. भोग-मनुस्साण जीवनोवायं ।
भासंति बेग तेनं, मनुनो भागिदा मुगिहि ॥१५॥
मर्च :-अपने योग्य श्रुतको पढ़कर ( इनमेंसे ) कितने ही राजकुमार मायु-क्षीण हो जाने पर भोगभूमिमें अवधिज्ञान सहित मनुष्य उत्पन्न होकर अवधिमानसे और कितने ही जातिस्मरणसे भोगभूमिन मनुष्योंको जीवनके उपाय बताते हैं, इसलिये ये मुनीन्द्रों द्वारा 'मनु' कहे गये है।५५४-५१५।।
ब.स. वादो। २... ब. क. ब. म. उ. मंजर। . क.क. उ. जोगा। ... बंदूण, यबंभिण। ५. द व क. ब. स. पना1 १. व... क.अ. य. स. पविदा। ... प. उ. दो। ८. प. कई।