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________________ त्यो महाहियारो साहिव वल्ल - 'सुबरी - तिल-मास- प्यवि-शिविह-बनाई । बह पिमह सहा, सुरहि-पहुबोध बुद्धासि ॥ ५०७॥ गाथा : १०७-५१० ] :- जालि जी, वल्ल, तूवर तिल और उड़द आदि विविध प्रकारके धान्य कामो और गाय श्रादिका दूध पिय ।। ५०७ ।। अयं बहु जब तं कामं 'सुसिवा वेदि जयालू णराण सलानं । अर्थ :- ( इसके अतिरिक्त) दयालु नाभिराय उन सब मनुष्योंको धन्य भो अनेक प्रकारकी शिक्षा (सी) देते हैं। तदनुसार खाचरण करके वे सब मनुष्य मनु नाभिरायके प्रसाइसे सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे ॥२०८॥ मतान्तरसे कुलकरोंकी प्रायुका निर्धारणmysites आधार्य श्री सुशिशिर जा पलियोम - बस मंसो, ऊभो योवेण पविसुविस्साऊ । अमनं अज सुनियं, कमलं मलिगं च एउम- पउमंगा ।।५०६ ॥ जीवसे सप्पसाएन ||५०८ || कुरुव-कुसुरंग जलवा, सेस-मचूर्ण आऊ, गलवंगं पथ्य-पुरुष- कोडोलो । कमसो केई 'मिरूपति ||५१०॥ पाठान्तरं ।। :- प्रतियुति कुलकरको आयु कुछ कम पस्योपमके दसवें भाग प्रमाण बी । इसके आगे शेष तेरह कुलकरोंकी आयु क्रमश: प्रमभ, अह, त्रुटित, कमल, नलिन, पद्य, पद्मा, कुमुद, कुमुदाङ्ग, भमुख, मयुताङ्ग पर्व और पूर्व कोटि प्रमारण थी, ऐसा कोई प्राचार्य कहते है ।। ५०६ ५ १० । [ १४५ नोट :--४२८ से ५१० पर्यतकी गावाबोंसे सम्बन्धित मूल संदृष्टियोंके अर्थ देवियोंके नाम जोर दण्ड व्यवस्था प्रादिका निदर्शन इसप्रकार है- १. व. ब. क.अ. भ. उ. तोबी 4. 4. T. 1. M. 4. a. gfutt 1 ६. प. गुरूति । महाई। ४. ज. प. उ. परिधिमाऊ । PHERE.. २. ८...... ५.८. . . . . खजिला ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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