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गाथा : ४६८-५०१ ] चउत्यो महाहियारो
[ १४३ पर्ष:-यह कुलकर स्वर्ण सदृश वर्ण वाला, दससे गुणित पचपन अर्थात् ५५० धनुष प्रमाण कंबा मोर दस लाख करोड़ से भाजित पस्योपम प्रमाण वायु वाना पा ||४७॥
अमिदमदोली सकारले अलि-पहल रिलेला जाति युगलबाला, वेक्सिय भोदा किमेवमिति veel
भय-जुत्ताण णराणं, पसेणजिन्भदि बिव्व-उबदेस । 'पत्ति-परलापहरणं, कहिदम्मि कुणसि ते सव्वे ॥४६॥
मर्च :-उसके अमितमतो' नामक देवी थी। उस समय वसिपटल ( जरायु) से वेथित युगल शिशु जन्म लेते हैं। उन्हें देखकर माता-पिता भयभीत होते हैं और यह क्या है ? ऐसा सोचते हैं। इस प्रकार भयसे संयुक्त मनुब्रोंको प्रसेनजित् मनु वत्ति - पटल दूर करनेका दिव्य उपदेश देते है। ( उमके ) कथनानुसार वे सब मनुष्य यति - पटस दूर करने लगे ॥४६८-४६६ ।।
पेनाते गालानं, मुहागि 'वियसत्त-कमाल-सरिमाणि ।
कुव्यसि पयत्रोणं, सिसूख रखा गरा सध्ये ॥५००।
पचं :- सब मनुष्य शिशुओंके विकसित कमन सदृश मुखौंको देखने लगे और प्रमल-पूर्वक उनका रक्षरग करने लगे ।। ५.०॥
चौदहवें नाभिराम मनुका निरूपणतम्मणु-सिविध पवेसे, कोटि-हवासीदि-साख-हिब-पल्लें । 'अंतरिये संमूजो, चोइसमो नाभिराम - भगू ॥५०१।।
। पE००००००००००००० ।
म :-उस मनुके स्वर्गस्थ होने पर अस्सो लाख करोड़से भाजित पल्य प्रमाए कालके अन्तरालसे चौदहवें नाभिराय मनु उत्पन्न हुए ॥५०१॥
१. द...क.अ. क्रम परिषदा, ज. प. पद परिवेशा। २. क. ज. प. उ. बाबती। ... ४ .ब. क. प. य. ३. पसट्ट। ५. इ. स. ३. ति । ५. प.ब. ... अतरियो ।
रिति ।