SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११८ ] तिलोपाती ते सब्बे पर जुगला, प्रोगुप्पण्ण · पेन संमूढा' । जम्हा लम्हा ते सावध - वय संगमो नपि ॥ ३६० ॥ - 1 अर्थ :- वे सब उत्तम युगल पारस्परिक प्रेम अत्यन्त मुग्ध रहा करते हैं, इसलिए उनके कोचित व्रत-संयम नहीं होते || ३६० ॥ 1 कोइल - महरामाया किन्नर कंठा हवंति से जुगला । कुल जादि भेद होना, सुहसचा खत - दारिद्दा ॥३६२॥ · - - :- वे नर-नारी युगल, कोयस सदृश मधुरभाषी, किन्नर सदृश कण्ठ वाले, कुल एवं जातिभेदसे रहित, सुखमें प्रासक्त और दारिद्रय रहित होते हैं ||३९३॥ भोगभूमिज तियंचोका वर्णन --- - तिरिया भोगबिबीए, जुगला जुगला हवंति वर-वण्णा । सरला मंदसाया णाभाविह जादि संजुला ॥३६२॥ पादर्शक :. श्री सुि सर्व :- भोगभूमिमें उत्तम वर्ण-विशिष्ट, सरल, सन्य-कषायी और नाना प्रकारको जातियों काले तियंच जीव युगल मुगल रूपसे होते हैं ।।३६२॥ · - - गो-केसरि-करि-मयरा-स्वर-सारंग शेभ महिल-क्या । सिगालच्छ भल्ला य ॥ १६३॥ - ४. ब. क. य. उ. जिक, व. fears, प [ गाया : ३६०-३६५ वायर-गयय-सरच्छा कुक्कुड कोइल फोरा, पारावर रायहंस कारंडा ब्रेक-कोक-कच-किंजक पहूवीओ होंति अच्छे बि ।। ३६४ ॥ - · १. व.ब.क.ज.ज. अंगूठा य. संगण २.ब.उ.सं अर्थ :- (भोगभूमिमें ) गाय, सिंह, हाथी, मगर, शुकर, सारङ्ग रोझ (ऋ), मेस, बुक ( भेड़िया ), जन्दर, गवय, तेंदुआ, व्याघ्र, श्रृंगाल, रीख, भालू, मुर्गा, कोयल, तोता, कबूतर, राजहंस, कारंड, बगुला, कोक ( चकवा ) क्रौंच एवं किमक तथा और भी तियंच्च होते है ।। ३६३-१६४।। यह मनुवाणं भोगा तह तिरियानं हवंति एवानं । निय जिय जोग्गलेणं, फल कंड लगेकुरावीनि ॥ ३६५॥ - ३. ब.उ. सिवालस्ट के सिंगाज
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy