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ऊर्य रूप
भवनवासी देवोंके पाहार एवं श्वासोच्छ्वासका अन्तराल तथा चैत्य-वृक्षादिका विवरण
च्छवासा शरीर का | ऊर्य रूप से गति का अन्तराल
- वर्ण
|
कुलों के नाम
ग्राहार का अन्तराल |का अन्तराल] वर्ण
चैत्य-वृक्ष ।
गाथा : १३७ ]
स्ववश
१००० वर्ष
१५ दिन । १२३ दिन | १२३ मु. कालश्याम
श्याम
"
श्याम
अश्वत्थ (पीपल) सप्तपर्ण शाल्मलि जामुन वेतस कदम्ब प्रियंगु शिरीष
१२ दिन
१२ मू०
कालश्याम
७३ दिन
असुरकुमार नागकुमार सुपर्णकुमार द्वीपकुमार उदधिकुमार स्तनितकुमार विद्य कुमार दिक्कुमार अग्निकुमार वायुकुमार इनके सामा०, त्रायः,पारिषद एवं प्रतीन्द्र ) देव १००० वर्ष आयु वाले देव १ पल्य के अायु वाले
" विजलीवत्
श्यामल | अग्निवत्
७: मु.
स्व-मालम्बन से ईशान-स्वर्ग-पर्यन्त
परावलम्बन रूप से अच्युत स्वर्ग पर्यन्त
तदिमो महाहियारो
समचतुरस्र-संस्थान
कायप्रवीचार से युक्त
पलास
,
नीलकमल
राजद्रुम
स्व इन्द्रवत् । स्व इन्द्रवत्
७ श्वासो
५ दिन
|
५ मुहूर्त
नोट: गाथानोंमें चमर-वैरोचन आदि इन्द्रोंके आहार एवं श्वासोच्छ्वासका अन्तराल कहा गया है । तालिकामें . कुलोंका जो अन्तराल दर्शाया है, वहीं उनके चमरादि इन्द्रोंका समझना चाहिए।