________________
तदियो महाहियारो
'दीविंद-हुदीणं वेवीणं वरविजष्यणा' संति
छ-सहस्साणि च समं पत्तवकं विविह-रूवेहि ||१८||
गाथा : ६८-६६ ]
अर्थ :- द्वीपेन्द्रादिकों को देवियोंमेंसे प्रत्येकके मूलशरीर के साथ विविध प्रकार के रूपोंसे छह हजार प्रमाण उत्तम विक्रिया होती है |
२६३
पुह पुह सेसिंदाणं वल्लहिया होंति दो सहस्तारि । बत्तीस - सहस्साणि संमिलिदे
२००० । ३२००० |
अर्थ :- शेष इन्द्रोंके पृथक्-पृथक् दो हजार वल्लभा देवियाँ होती हैं इन्हें मिला देनेपर प्रत्येक इन्द्रके सब देवियां बत्तीस हजार प्रमाण होती हैं ॥ ६६ ॥
सय्यदेवी 118211
[ भवनवासी इन्द्रोंकी देवियोंके प्रमाण की तालिका पृष्ठ २९४ पर देखिये ]
१. च. ब. क. ज. ठ. देविंद २. द. वरविश्वा ब. बार विववरणा । ज. द. वार तिव्वणा । क. वार दिकुष्वणा ।