________________
२२८]
तिलोयपात्ती
[ गाथा : २३६-२३६ एक्कारस चावारिंण एक्को हत्यो दसंगुलाणि पि । एक्करस-हिद-दसंसा उदयो 'घादिवयम्मि बिदियाए ॥२३६॥
दं ११, ह १, अं १० भा १ ।
प्रर्य :-दूसरी पृथिवीके घात इन्द्रकमें ग्यारह धनुष, १ हाथ, दस अंगुल और ग्यारहसे भाजित दस-भाग प्रमाण शरीरका उत्सेध है ।।२३६।।
बारस सरासणाणि पत्वारिंग अट्ठहत्तरी होति । एक्कारस भजिदाणि संघादे णारयारण उच्छेहो ॥२३७।।
दं १२ अं०१६। प्रर्य :-संघात इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध बारह धनुष और ग्यारहसे भाजित अठहत्तर भंगुल प्रमाण है ॥२३७।।
बारस सरासणाणि तिय हत्था तिप्णि अंगुलाणि च । एक्करस-हिद-ति-भाया उदयो जिब्भिवमम्मि बिवियाए ॥२३८।
दं १२, ह ३, अं ३ भा
।
अर्थ :-दूसरी पृथिवीके जिह्व इन्द्रकमें शरीरका उत्सेध बारह धनुष, तीन हाथ, तीन अंगुल और ग्यारहसे भाजित तीन भाग प्रमाण है ।।२३८।।
तेवण्णा हत्थाई तेवीसा अंगुलाणि परण भागा । एक्कारसेहि भजिदा जिब्भग-पडलम्मि उच्छेहो ॥२३६३
ह ५३ अं२३ भा । अर्थ :-जिह्वक पदल में शरीरका उत्सेध तिरेपन हाथ ( १३ दण्ड १ हाथ ) तेईस अंगुल और एक अंगुलके म्यारह-भागों मेंसे पाँच-भाग प्रमाण है ।।२३६।। ।
१.ब, घादिदियम्मि । २. द, भजिदाणं ।