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गाथा : २२४-२२७ ]
विदुओ महाहियारो
[ २२५
प :- पहली पृथिवीके संभ्रान्त नामक इन्द्रकमें शरीर की ऊँचाई तीन धनुष, दो हाथ और साढ़े अठारह अंगुल प्रमाण है ।। २२३||
चत्तारो चायाणि सत्तावीसं च अंगुलाणिपि ।
होदि प्रसंभंतिदय उदयो पढमाए पुढवीए ॥ २२४ ॥ ।
दं ४ | अं २७ ।
अर्थ :- पहली पृथिवीके प्रसंभ्रान्त इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरकी ऊँचाईका प्रमाण चार धनुष और सत्ताईस अंगुल है ।। २२४ ||
चत्तारो कोदंडा तिय हत्या अंगुलाणि तेवीसं ।
बलिवाणि होदि उदघो विभतय णाम पडलम्मि || २२५ ||
दं ४, ३,
अर्थ : – विभ्रान्त नामक पटल में चार धनुष, तीन हाथ और तेईस अंगुलके श्राधे अर्थात् साढ़े ग्यारह अंगुल प्रमाण उत्सेध है || २२५ ॥
पंच चिचय कोदंडा एक्को हत्थो य बीस पव्वाणि । ततियम्मि उदश्रो पण्णत्तो पढम - खोणीए ॥ २२६॥
दं ५, ६ १ अ २०
अर्थ :- पहली पृथिवीके तप्त इन्द्रकमें शरीरका उत्सेध पाँच धनुष एक हाथ और बीस अंगुल प्रमाण कहा गया है ।। २२६ ||
छ च्चिय कोदंडारिंग चत्तारो अंगुलाणि पव्वद्ध ं ।
उच्छे हो गावथ्वी पडलम्मि य तसिद- गामम्मि ॥ २२७ ॥
६, ४ भाई ।
अर्थ :- त्रसित नामक पटलमें नारकियोंके शरीरकी ऊँचाई छह धनुष और अर्ध अंगुल सहित चार अंगुल प्रमाण जाननी चाहिए || २२७॥